हिन्दुओं को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिए जाने पर राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में एकमत नहीं !

केंद्र सरकार का उच्चतम न्यायालय में प्रतिपादन !

नई देहली – हिन्दुओं को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिए जाने के संबंध में राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में एकमत नहीं, ऐसी जानकारी केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दी । राज्य की जनसंख्या के आधार पर वहां के हिन्दुओं को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिए जाने के विषय में केंद्र सरकार ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों से जानकारी मंगवाई थी । इसके अनुसार २८ में से २४ राज्य और ८ में से ६ केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से जानकारी प्राप्त होने के उपरांत केंद्र सरकार ने उपर्युक्त जानकारी उच्चतम न्यायालय को दी । भाजपा नेता और अधिवक्ता श्री. अश्विनी उपाध्याय ने इस संबंध में याचिका प्रविष्ट की है ।

केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि, प्राप्त जानकारी में अनेक राज्यों ने ‘अल्पसंख्यकों का दर्जा किसे दें’, इसका अधिकार उनके पास रखने के लिए बताया है । उत्तराखंड राज्य ने कहा है, ‘राज्य में जनसंख्या के आधार पर धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किए जाने चाहिए ।’ उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया, ‘इस संबंध में केंद्र सरकार जो निर्णय लेगा, वो हमें मान्य होगा ।’ बंगाल सरकार ने कहा, ‘किसी भी धर्म को अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार राज्यों के पास होना चाहिए ।’

देहली सरकार ने, ‘हिन्दू धर्म के लोगों को देहली में अल्पसंख्यकों का दर्जा नहीं दिया गया है; लेकिन जम्मू-कश्मीर, लद्दाख जैसे राज्यों से हिन्दू पलायन कर देहली में रह रहे हैं, उन्हे केंद्र सरकार ‘प्रवासी अल्पसंख्यक’ ऐसा दर्जा दे सकती है’, ऐसा बताया ।

अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और तेलंगाना ये राज्य, उसी प्रकार जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप इन केंद्रशासित प्रदेशों से मत आने शेष हैं ।