इमाम छेडखानी करते हैं, तो उनके अनुयायी बलात्कार का प्रयास करते हैं; इसलिए मुसलमान महिलाएं मस्जिदों में नहीं जातीं !

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अलीगढ जिला संयोजक मौलाना राव मुशर्रफ का स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन !

(मौलाना का अर्थ है इस्लाम का अध्येता)(इमाम का अर्थ है मस्जिद में लोगों से प्रार्थना करा लेनेवाला)

अलीगढ (उत्तर प्रदेश) – कर्णावती की जामा मस्जिद के इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने चुनाव में महिलाओं को प्रत्याशी न बनाने का आवाहन किया था, जिसकी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जिला संयोजक तथा देवबंद के मौलाना राव मुशर्रफ ने आलोचना की है । उन्होंने कहा कि इमाम मस्जिद में जानेवाली महिलाओं को छेडते हैं अथवा उनके अनुयायियों द्वारा उनके साथ बलात्कार का प्रयास किया जाता है; इसलिए मुसलमान महिलाएं मस्जिद नहीं जातीं ।

मौलाना राव मुशर्रफ ने बताया कि मस्जिदों में जाने के लिए महिलाओं पर प्रतिबंध नहीं है । यदि मुसलमान पुरुष एवं महिलाएं हजयात्रा कर सकते हैं, तो वे मस्जिद में क्यों नहीं जा सकतीं ? कुरआन एवं हदीस (एक विशिष्ट परिस्थिति में मोहम्मद पैगंबर ने किस प्रकार आचरण किया तथा उन्होंने क्या बोला; इसकी पुस्तक) में महिलाओं को मस्जिद जाने से रोका नहीं गया है ।

मुसलमान महिलाओं ने स्वयं ही मस्जिदों में जाना बंद किया; क्योंकि वहां के इमाम छेडते हैं, तो उनके अनुयायी उनके साथ बलात्कार का प्रयास करते हैं । इस्लाम ने यदि महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं दिया होता, तो बेनजीर भुट्टो एवं शेख हसीना प्रधानमंत्री के पदतक कैसे पहुंच पातीं ? इमाम शब्बीर जैसे लोगों को सार्वजनिक वक्तव्य देने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । भारत का कानून महिलाओं को समानता का अधिकार प्रदान करता है, साथ ही मतदान करने से लेकर चुनाव लडनेतक का अधिकार देता है ।

संपादकीय भूमिका

  • एक मौलाना के द्वारा ही सच्चाई उजागर करने से अब इस विषय पर अन्य किसी को कुछ बोलने की ही आवश्यकता नहीं है, यह स्पष्ट होता है !
  • मस्जिदों में जहां मुसलमान महिलाएं ही सुरक्षित नहीं होंगी, तो अन्य धर्म की महिलाएं, युवतियां और लडकियां धर्मांधों की वासनांधता का शिकार होने से कैसे बच पाएंगी ?