गिरजाघर के पादरियों को सरकारी कोष से वेतन का भुगतान क्यों किया जाना चाहिए ?

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने ईसाई वाई.एस.आर. कांग्रेस सरकार से प्रश्न किया !

अमरावती (आंध्र प्रदेश) – आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा गिरजाघर के पादरियों (प्रचारकों) को दिए जाने वाले वेतन पर प्रश्न उठाया है। उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा, ‘चर्च के पादरियों को सरकारी कोष से वेतन का भुगतान क्यों किया जाना चाहिए ?’ धार्मिक कार्यों के लिए धन देना एक अलग बात है किन्तु एक प्रचारक को वेतन का भुगतान करना एक पूर्णरूपेण भिन्न प्रकरण है, उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की है ।

विजयवाड़ा के विजय कुमार ने ईसाई पादरियों को वेतन देने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका प्रविष्ट की थी। उस प्रकरण में उच्च न्यायालय ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। आंध्र प्रदेश सरकार से प्रश्न पूछा जा रहा है कि ‘पादरियों को जनता के पैसे से कैसे भुगतान किया जाता है ?’

१. विजय कुमार की ओर से युक्तिवाद करते हुए अधिवक्ता पी. श्री. रघुराम ने न्यायालय को सूचित किया कि मंदिर के मुख्य पुजारियों को भक्तों द्वारा दिए गए दान से भुगतान किया जाता है। मस्जिदों के इमामों को भी इसी प्रकार भुगतान किया जाता है किन्तु गिरजाघर के पादरियों को सीधे सरकारी कोष से वेतन का भुगतान किया जा रहा है।

२. राज्य सरकार की ओर से तर्क देते हुए महाधिवक्ता एस. श्रीराम ने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद २७ के अंतर्गत धार्मिक कार्यों के लिए अनुदान दे सकती है।

३. इस पर न्यायालय ने कहा कि धार्मिक त्योहारों पर व्यय करना तथा वेतन का भुगतान करना दो भिन्न-भिन्न तत्व हैं। पादरियों को वेतन का भुगतान व्यय, धार्मिक समारोहों के लिए दी जाने वाली निधि नहीं हो सकता।

४. आंध्र प्रदेश में ईसाई प्रचारकों के धर्मांतरण में लिप्त होने के समाचार सदा ही आते रहते हैं। ‘युवजन श्रमिका रिथू काँग्रेस’ के सांसद कृष्णम राजू ने आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण में लिप्त ईसाई प्रचारकों के विरोध में आवाज उठाई थी। राजू ने अपने प्राणों को धोखा बताते हुए अपने ही दल से केंद्रीय सुरक्षा की मांग की थी। सांसद राजू ने जून २०२० में कहा था कि आंध्र प्रदेश में ईसाई प्रचारक खुलेआम लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, यद्यपि सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में ईसाइयों की संख्या २.५ प्रतिशत बताई जाती है किन्तु वास्तविक संख्या २५ प्रतिशत से कम नहीं है।

संपादकीय भूमिका

  • हिन्दू यदि कोई धार्मिक माँग करते हैं तो त्वरित कहा जाता है कि  ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है’ और दूसरी ओर सभी सरकारें धर्म के आधार पर मुसलमानों और ईसाइयों पर निधि व्यय करने की योजनायें बनाती हैं एवं सरकारी निधि का अपव्यय करती हैं ! हिंदूऒऺ का ध्यान इस ऒर कब जाएगा ?
  • ‘आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी स्वयं ईसाई हैं, इसी कारण सरकारी कोष का धन पादरियों पर उड़ाया जा रहा है’ ? यदि कोई यह कहता है तो इसमें उसका का क्या दोष !
  • सर्वधर्म समभाव की बीन बजाने वाले अब चुप क्यों हैं ?