हिन्दुओं के मंदिर गिराकर मिस्जदें निर्माण करने की चूकें सुधारने का विचार होना चाहिए !

सुप्रसिद्ध पुरातत्त्व शास्त्रज्ञ के.के. मुहम्मद का वक्तव्य

  • मथुरा एवं काशी के प्रकरणों पर तुरंत समाधान आना चाहिए !

  • मुसलमानों द्वारा विरोध करने से इतिहास में परिवर्तन नहीं होगा !

नई देहली – अयोध्या में बाबरी ढांचे के उत्खनन में वहां श्रीराममंदिर के अवशेष हैं, ऐसा प्रथम विशद करनेवाले प्रसिद्ध पुरातत्त्व शास्त्रज्ञ के.के. मुहम्मद ने वक्तव्य दिया है कि बाबरी के समान (बाबरी ढांचे के समान) देश में अनेक प्रकरण हैं । यदि समय पर इनका समाधान नहीं किया गया, तो यह एक बडी समस्या बन जाएगी । देश में अनेक मंदिर गिराकर वहां मस्जिदें बनाई गईं हैं । इस कारण पूर्व में जो चूकें की गई हैं, उन्हें सुधारने की दृष्टि से विचार होना आवश्यक है । उन्होंने आगे कहा कि भारत केवल हिन्दुओं के कारण ही धर्मनिरपेक्ष है ।

के.के. मुहम्मद नो कहा कि

१. मथुरा स्थित श्रीकृष्णजन्मभूमि एवं काशी स्थित ज्ञानवापी प्रकरणों में शीघ्रतिशीघ्र समाधान ढूंढना चाहिए । यहां साक्ष्य का कोई अभाव नहीं है । केवल विचारों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है ।

२. मैं मुसलमानों को सदैव कहता हूं कि पाकिस्तान विलग होने पर भी भारत धर्मनिरपेक्ष रहा है । हिन्दू बहुसंख्यक होने के कारण ही यह संभव हो पाया है । (परंतु अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही सर्वथा हितकारी है, यही वास्तविकता है ! – संपादक)

३. वैज्ञानिक शोध के संबंध में उस पर विश्वास रखना आवश्यक है ।

४. देश में पुरातत्त्व शास्त्रज्ञों का कोई भविष्य नहीं है । सरकार भी उसे प्रोत्साहन देने के लिए विशेष कुछ करती नहीं है । भाजपा की सरकार से मुझे अपेक्षाएं थीं; परंतु उसने भी ऐसा कुछ नहीं किया । मुझे लगता है कि भारतीय पुरातत्त्व विभाग का सबसे दयनीय समय भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही है ।

कौन हैं के.के. मुहम्मद ?

१. प्रसिद्ध पुरातत्त्व शास्त्रज्ञ के.के. मुहम्मद ने अयोध्या के श्रीराममंदिर के प्रकरण में बाबरी ढांचे के स्थान पर हिन्दू मंदिर का समर्थन किया था । वर्ष १९७६-७७ में उन्होंने वहां जाकर उत्खनन किया था । उन्होंने कहा कि मंदिरों के स्तंभों पर ही बाबरी ढांचा का निर्माण किया गया था । इसलिए उन्हें मुसलमानों के क्रोध का सामना करना पडा था । ऐसा होते हुए भी, वे कहते है कि यदि लोगों का विरोध हुआ, तब भी मैं अपने कार्य से अप्रमाणिक नहीं बन सकता । उत्खनन में मंदिर के अवशेष मिले थे, यह वास्तविकता है । इतिहास की वास्तविकता सामने रखना ही मेरा धर्म है । (क्या श्रीराममंदिर के समान हिन्दुओं की अस्मिता संजोए रखने के प्रकरण में हिन्दू पुरातत्त्व शास्त्रज्ञों ने कभी ऐसा विचार किया ? यह हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद ! – संपादक)

२. के.के. मुहम्मद ने कहा था कि देहली में २७ मंदिर गिराकर कुतुब मीनार परिसर में कुव्वत उल् इस्लाम मस्जिद बनाई गई थी । मंदिर गिराकर उसी के पत्थरों से मस्जिद का निर्माण किया गया था । उस स्थान पर स्थित अरबी भाषा के लेख एवं ‘ताजूर मासिर’ नामक पुस्तक में इसका उल्लेख है ।