हिंदी भाषा थोपकर केंद्र  भाषिक युद्ध को प्रारंभ न करें !

तामिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टैलिन का प्रधानमंत्री मोदी को आवाहन !

तामिलनाडु के मुख्यमंत्री एम्.के. स्टैलिन

चेन्नई (तामिलनाडु) – हिंदी भाषा लादकर केंद्र एक प्रकार से भाषिक युद्ध को प्रारंभ न करें । प्रसार माध्यम से पता चला कि सरकार की ओर से इस प्रकार का प्रयास किए जा रहे हैं । हिंदी भाषा अनिवार्य करने के प्रयत्न छोड देने चाहिए, ऐसा आवाहन तामिलनाडु के मुख्यमंत्री एम्.के. स्टैलिन ने प्रधानमंत्री मोदी को किया है । सांसदीय समिति के अध्यक्ष एवं गृहमंत्री अमित शहा ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रभाषाविषयक प्रपत्र सुपूर्द किए थे । इसमें आय. आय. टी., आय.आय.एम्.एम्स्., केंद्रीय विद्यापीठ एवं केंद्रीय विद्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी भाषा का प्रयोग करने का प्रस्ताव सांसदीय समिति ने किया है । इस पर स्टैलिन ने उपर्युक्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।

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स्टैलिन आगे कहते है, ‘यह प्रस्ताव लागू होने पर देश के अन्य भाषिक समुदाय को दुय्यम स्थान पर रहना पडेंगा । इसके पूर्व तामिलनाडु में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए हैं । हिंदी को किसी पर थोपना भारत की अखंडत्व को आव्हान देना है । भाजपा सरकार ने भूतकाल के प्रदर्शनों से कुछ सिखना चाहिए । देश की विविध भाषाओं को केंद्र की अधिकृत भाषा करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए, इसलिए हिंदी को इस प्रकार दर्जा देने की क्या आवश्यकता है ? अंग्रेजी को हटाकर केंद्रीय परिक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया है ? यह प्रकार राज्यघटना के मूलभूत (प्राथमिकतावाले) हक्कों के विरोध में है ।

संपादकीय भूमिका

दक्षिण भारत में हिंदी को हो रहें विरोध के पृष्ठभूमि पर सरकार ने अब देश में संस्कृत को प्राथमिकता देने के लिए प्रयत्न करना चाहिए ! देवभाषा संस्कृत सभी प्रादेशिक भाषाओं की जननी है !