हरियाणा – औद्योगिकीकरण एवं आधुनिकीकरण की होड़ में हमने पर्यावरणीय मूल्यों को पीछे छोड दिया है । हमें विकास के मूल विचार को लेकर चलना होगा, जो कि पर्यावरण हितैषी हो । पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार पर निर्भर रहने की बजाये हम सबको खुद आगे आना होगा । सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन नागरिकों को भी पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देना चाहिए । पर्यावरण और प्रकृति के प्रति भारतीय सोच हमेशा पूजनीय रहीं है । ऐसा प्रतिपादन न्यायमूर्ति आदर्श गोयल ने राष्ट्रीय सम्मेलन में किया । इस समय १७ विशेषज्ञ वक्ताओं ने वायु, जल एवं भूमि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-मंथन किया । सम्मेलन में वाटरमैन ऑफ इंडिया के रूप में लोकप्रिय प्रसिद्ध जल संरक्षणवादी डॉ. राजेन्द्र सिंह ने जल संकट से निपटने के लिए पारंपरिक जल प्रणाली अपनाने पर बल दिया ।
राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ अरविन्द गुप्ता ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन में २०० से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया तथा पर्यावरण एवं संबंधित विषयों पर लगभग १०० शोध कार्यों पर तकनीकी सत्रों में चर्चा हुई । प्रतिभागियोगीता में हरियाणा दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखण्ड, उत्तप्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा मध्यप्रदेश सम्मिलित हुए थे । यह राष्ट्रीय सम्मेलन,भारत सेवा प्रतिष्ठान, फरीदाबाद के चेयरमैन श्रीकृष्ण सिंघल तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जगदीश चौधरी की देखरेख में संपन्न हुआ ।
इस कॉन्फ्रेंस में सनातन संस्था द्वारा ग्रंथों प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसका लाभ कॉन्फ्रेंस में आए सभी जिज्ञासु ने लिया, कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपने यूनिवर्सिटीज में ग्रंथों का संच रखने की इच्छा व्यक्त की और सात्विक उत्पाद भी लिए और सनातन संस्था के कार्य की सराहना की ।