कुरान धार्मिक ग्रंथ है; परंतु गीता धार्मिक ग्रंथ नहीं है ! – कर्नाटक के शिक्षामंत्री
बेंगलुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक की पाठशालाओं में आगामी दिसंबर से नैतिक शिक्षा के अंतर्गत श्रीमद्भगवद्गीता पढाई जाएगी । मुसलमान इसका विरोध कर रहे हैं । ‘यदि गीता पढाई जा रही है, तो कुरान क्याें नहीं ?’ इस पर शिक्षामंत्री बी.सी. नागेश ने कहा, ‘कुरान धार्मिक ग्रंथ है, जबकि गीता धार्मिक ग्रंथ नहीं है । गीता में भगवान की पूजा करने के विषय में अथवा धार्मिक प्रथा के विषय में कुछ भी नहीं बताया गया है । वह नैतिकता का ज्ञान देती है, जो विद्यार्थियों को प्रेरित करनेवाला है ।’
अब छात्रों को पढ़ाई जाएगी भगवत गीता, स्कूलों व कालेजों के नए सत्र में होगा शामिल #KarnatakaNews #BhagwadGita https://t.co/oy9PYhu30Y
— Dainik Jagran (@JagranNews) September 19, 2022
१. शिक्षामंत्री नागेश ने आगे कहा कि स्वतंत्रता सेनानियाें को गीता के कारण लडने की प्रेरणा मिली थी । हम गीता को स्वतंत्र विषय के रूप में नहीं पढाएंगे, अपितु नैतिक शिक्षा में उसको समावेश करेंगे । इसके लिए सरकार ने इससे पूर्व ही एक समिति स्थापित की थी एवं उसकी अनुशंसा के अनुसार दिसंबर से ही गीता पढाई जाएगी ।
२. शिक्षामंत्री नागेश ने कहा, ‘पाठ्यपुस्तकों में चिकमगलुरू के ‘बाबा बुडनगिरी’ समान उल्लेख करने जैसी चूकों में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है । अब उसका नाम ‘इनाम दत्तात्रेय पीठ’ किया गया है ।’ (मुसलमानों द्वारा अतिक्रमित हिन्दुओं का दत्तात्रेय पीठ हिन्दुओं के नियंत्रण में देने के लिए भी मंत्रियों को अपेक्षा करनी चाहिए, हिन्दुओं को ऐसा ही प्रतीत होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
गीता स्वतंत्र विषय के रूप में न पढाने के संदर्भ में भाजपा द्वारा प्रश्न !
कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा इससे पूर्व पाठशाला में गीता को स्वतंत्र विषय के रूप में पढाने की घोषणा की गई थी; परंतु अब उसे नैतिक विषयांतर्गत पढाने के संदर्भ में भाजपा ने प्रश्न उपस्थित किया है । भाजप के नेता प्रणेश एम.के. तथा एन. रवि कुमार ने पूछा है कि गीता पढाने का किसी का विरोध न होते हुए सरकार स्वयं के आश्वासन से दूर क्याें जा रही है, सरकार को क्या अडचन है ? क्या सरकार पीछे हट रही है ?