नोएडा (उत्तर प्रदेश) के २ अवैध ऊंचे भवन केवल ९ सेकेंड में गिराए गए !


नोएडा (उत्तर प्रदेश) – यहां के सेक्टर ९३ में ‘सुपरटेक’ प्रतिष्ठान द्वारा निर्माणकार्य किए गए ४० तल्ले के २ अवैध ऊंचे भवन दोपहर ढाई बजे गिराए गए । १०० मीटर से अधिक ऊंचाई के ये दोनों ही भवन गिराने में केवल ९ सेकेंड का समय लगा । भवन गिराने हेतु ३ सहस्र ७०० किलो विस्फोटकों का उपयोग किया गया । उसी प्रकार भवनों को गिराने से पूर्व इस परिसर में रहनेवाले लगभग ७ सहस्र लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थलांतरित किया गया था । इसलिए इन भवनों को गिराने की प्रक्रिया के उपरांत किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची । इस समय नोएडा पुलिस के ४०० से अधिक कर्मचारी यहां नियुक्त हैं । आपात्कालीन स्थिति के लिए रुग्णवाहिका (एम्बुलेंस)भी नियुक्त की गई थी । प्रदूषण के स्तर पर ध्यान रखने हेतु विशेष यंत्र रखे गए हैं । भवन गिराने की प्रक्रिया के लिए लगभग १७ करोड ५५ लाख रुपए व्यय किए गए । यह व्यय भी ‘सुपरटेक’ की ओर से ही लिया जाएगा । गिराए गए भवनों के ढेर का विक्रय करने पर लगभग ४ करोड रुपए मिलेंगे ।

१. वर्ष २००४ में नोएडा प्राधिकरण ने ‘सुपरटेक’ को हाऊसिंग सोसाइटी बनाने हेतु एक भूखंड दिया । भवन ढांचा वर्ष २००५ में सम्मत हुआ था । इसमें १० तल्ले के १४ भवनों का निर्माणकार्य करने की अनुमति दी गई थी । इसमें परिवर्तन करते हुए वर्ष २००६ में ११ तल्ले के १५ भवनों का निर्माणकार्य करने की योजना बनाई गई; परंतु उसमें पुन: नवंबर २००९ में परिवर्तन कर २४ तल्ले के २ भवन निर्माण किए गए । मार्च २०१२ में उनके ऊपर २४ तल्ले बढा कर ४० तल्ले किए गए । इस कालावधि में भवनों में ६३३ फ्लैट्स(सदनिकाओं) का पंजीकरण भी हो चुका था ।

२. इन भवनों के विरुद्ध पडोस की एमरॉल्ड गोल्ड सोसाइटी के रेसिडेंट वेल्फेयर असोसिएशन के अध्यक्ष उदयभान सिंह तेतिया ने वर्ष २०१२ में अलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की । उस पर वर्ष २०१४ में उच्च न्यायालय ने इन भवनों को अवैध घोषित कर उन्हें गिराने के आदेश दिए तथा जिन्होंने फ्लैट्स के लिए पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन)किया था, उन्हें उनके पैसे १४ प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश भी न्यायालय द्वारा दिया गया था ।

३. इस निर्णय को सुपरटेक द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने पर सर्वोच्च न्यायालय ने अलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय की पुष्टि की गई तथा ३१ अगस्त २०२१ को आदेश देकर आगामी ३ माह में अर्थात नवंबर २०२१ में गिराने के आदेश दिए । नोएडा प्राधिकरण ने न्यायालय में कहा कि यह काम २२ मई २०२२ तक किया जाएगा । अंत में इन भवनों को गिराने हेतु २८ अगस्त २०२२ का दिन निश्चित किया गया ।

कैसे गिराए गए ये भवन ?

भवनों को गिराने के लिए भारत के ‘एडिफिस’ तथा दक्षिण अफ्रिका के ‘जेट डिमोलिशन’ प्रतिष्ठान को काम दिया गया । ‘एडिफिस’ के संचालक उत्कर्ष महेश्वरी के मतानुसार एक भवन २९ एवं दूसरा ३२ तल्ले का था । दोनों में ही ९ सहस्र ८०० छेद किए गए । प्रत्येक छेद में लगभग १ सहस्र ४०० ग्राम गनपाउडर डाला गया । कुल मिला कर ३ सहस्र ७०० किलो गनपाउडर का उपयोग किया गया । इसमें ३२५ किलो सुपर पावर जेल, ६३ सहस्र ३०० मीटर सोलर कार्ड, सॉफ्ट ट्यूब, जिलेटिन रॉड, १० सहस्र ९०० डिटोनेटर तथा ६ आइईडी (एक प्रकार का विस्फोटक) का समावेश है । तत्पश्चात उनका विस्फोट किया गया ।

संपादकीय भूमिका

अवैध भवनों का निर्माणकार्य करने हेतु भ्रष्ट सरकारी अधिकारी, शासनकर्ता सहायता करते हैं तथा जनता को उनके विरुद्ध वैध मार्ग से लडाई करनी पडती है, तब जाकर ऐसी कार्यवाही होती है ! मूलत: प्रामाणिक अधिकारी तथा शासनकर्ता होने हेतु धर्माचरणी लोगों का ‘हिन्दू राष्ट्र’ अनिवार्य है !