१. बंगाल में शिक्षक एवं गैरशिक्षक कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया में किया गया घोटाला
‘पिछले कुछ दिनों से बंगाल के व्यापार एवं वाणिज्य विभाग के मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी और उनकी विश्वसनीय अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी चर्चा के विषय बन गए
हैं । पिछले एक माह से उन्होंने जो घोटाला किया है, उसकी जानकारी से समाचारपत्रों के स्तंभ भरे पडे हैं । बंगाल सरकार ने वर्ष २०१६ में शिक्षक एवं गैरशिक्षक कर्मचारियों की भर्ती का कार्यक्रम घोषित किया था । उस समय ‘स्कूल सेवा आयोग’ के माध्यम से भर्ती परीक्षा ली गई । इस भर्ती प्रक्रिया में २० पद भरे जानेवाले थे । परीक्षा के परिणाम आने के उपरांत परीक्षा में सफल छात्रों की सूची घोषित की गई । उस सूची में सिलिगुडी की बबिता सरकार नामक छात्रा ने प्रथम २० क्रमांकों में स्थान प्राप्त किया था; परंतु आयोग ने बिना कोई ठोस कारण दिए इस गुणवत्ता सूची को अमान्य (रद्द) कर दूसरी सूची बनाई । इसमें महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि दूसरी गुणवत्ता सूची में बबिता सरकार का नाम प्रतीक्षा सूची से बाहर चला गया और उसमें तृणमूल कांग्रेस की सरकार में राज्यमंत्री परेश अधिकारी की लडकी अंकिता अधिकारी का नाम आ गया । उसके आधार पर अंकिता अधिकारी को नौकरी मिली और उसके कारण बबिता सरकार को इस नौकरी से हाथ धोना पडा ।
२. पीडिता बबिता सरकार द्वारा भर्ती परीक्षा
पद्धति को कोलकाता उच्च न्यायालय में चुनौती देना, उसके पश्चात न्यायालय का समिति गठित करना तथा समिति द्वारा संबंधित मंत्री और अधिकारियों के विरुद्ध अभियोग चलाने की अनुशंसा करना ! बबिता सरकार ने इस निर्णय को कोलकाता उच्च न्यायालय में चुनौती दी । इसमें गुणवत्ता सूची में किए गए परिवर्तन और उसमें एक मंत्री की लडकी का नाम डालकर उसे नौकरी दिलवाने तक की सभी घटनाएं न्यायालय के सामने उजागर हुईं । इस प्रकरण में किए गए बडे घोटाले को ध्यान में लेकर उसके अन्वेषण के लिए उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रणजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया । इस समिति ने अपने ब्योरे में तत्कालीन शिक्षा राज्यमंत्री परेश अधिकारी, साथ ही कुछ मंत्रियों और अधिकारियों पर आरोप निश्चित किए । उसके उपरांत इस समिति ने ५ अधिकारियों के विरुद्ध अभियोग चलाने की अनुशंसा की ।
३. कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा अंकिता अधिकारी की नियुक्ति को अवैध प्रमाणित कर बबिता सरकार को नौकरी देने का आदेश देना
न्यायाधीश रणजीत कुमार से ब्योरा प्राप्त होने के उपरांत कोलकाता उच्च न्यायालय ने यह संपूर्ण प्रकरण केंद्रीय अन्वेषण विभाग (सीबीआई) को सौंपा । ‘सीबीआई’ के अन्वेषण में बहुत बडा भ्रष्टाचार उजागर हुआ । उसके उपरांत उच्च न्यायालय ने परेश अधिकारी की लडकी अंकिता की नियुक्ति अवैध प्रमाणित की और उसके स्थान पर बबिता सरकार को नौकरी देने का आदेश दिया । कुछ समाचार में यह भी कहा गया है कि अंकिता से ४१ माह का वेतन वापस लेने के भी आदेश दिए गए हैं ।
४. अन्वेषण विभाग द्वारा अर्पिता मुखर्जी के घर से ५० करोड रुपए से अधिक धनराशि और ५ किलो सोना बरामद किया गया
अन्वेषण विभाग की प्राथमिक जांच में व्यक्त अनुमान के अनुसार इस घोटाले की व्यापकता लगभग २० सहस्र करोड रुपए है । इस प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय ने (‘ईडी’ ने) ‘पी.एम.एल.ए.’ (आर्थिक घोटाला प्रतिबंधक कानून) के अंतर्गत अन्वेषण आरंभ किया । उसमें तत्कालीन शिक्षामंत्री तथा वर्तमान वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी तथा उनकी विश्वासपात्र अर्पिता मुखर्जी की जांच की गई । इस जांच में उनके पास ५० करोड से भी अधिक धनराशि मिली । केंद्र सरकार ने यह सब पैसा नियंत्रण में लिया । इस प्रकरण में पार्थ चटर्जी एवं अर्पिता मुखर्जी को बंदी बनाया गया । उसके कारण पार्थ चटर्जी को बंगाल के मंत्रीमंडल से निष्कासित किया गया ।
अर्पिता मुखर्जी के घर से ५० करोड से अधिक धनराशि और ५ किलो सोना बरामद किया गया है । कोलकाता हवाई अड्डे के निकट के चिनार पार्क स्थित अर्पिता के घर पर भी छापा मारा गया । उस छापामारी का विवरण मिलने की प्रतीक्षा है । अर्पिता के मतानुसार पार्थ चटर्जी इस घर का उपयोग पैसे रखने के लिए करता था ।
५. शिक्षक भर्ती घोटाला
प्रकरण में दास नामक एक और महिला की संलिप्तता उजागर इस प्रकरण में मोनालिसा दास नामक एक और महिला की संलिप्तता उजागर हुई है । उसके नाम पर बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन परिसर में करोडों रुपए की १० संपत्ति होने की बात कही जाती है । वर्ष २०१३ में पार्थ चटर्जी के शिक्षामंत्री रहते समय मोनालिसा विश्वविद्यालय में बांग्ला भाषा की विभाग प्रमुख के पद पर नियुक्ति की गई थी । पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी द्वारा इस घोटाले से प्राप्त करोडों रुपए को वैध (सफेद) करने के लिए १२ छद्म प्रतिष्ठान बनाए जाने की बात सामने आ रही है । अन्वेषण अधिकारियों ने नियंत्रण में ली गई एक प्रविष्टि बही में यह सब विवरण मिलने का दावा किया है ।
६. सरकार भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर उनकी चल संपत्ति नियंत्रण में ले !
इससे पूर्व भी ऐसे ही एक प्रकरण में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को कारावास हुआ था । इससे पूर्व मध्य प्रदेश का ‘व्यापम’ घोटाला राष्ट्रीय स्तर का अत्यंत सनसनीखेज घोटाला के रूप में जाना जा रहा था । लगता है कि कदाचित अब ‘बंगाल का ‘शिक्षक भर्ती घोटाला’ इसके पूर्व के सभी कीर्तिमानों को तोड देगा ।’ प्रतिदिन सवेरे दैनिक खोलने पर किसी की बंदी और करोडों का भ्रष्टाचार जैसे ही समाचार पढने को मिलते हैं । इन लोगों के विरुद्ध अपराध पंजीकृत किए जाएं, साथ ही सरकार उनकी चल-अचल संपत्ति भी नियंत्रण में ले और उसके उपरांत इन घोटालेबाजों को शीघ्रातिशीघ्र कठोर दंड कैसे मिलेगा ?, इस दृष्टि से भी प्रयास किए जाएं, यही राष्ट्रप्रेमियों की अपेक्षा है !’
‘श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।’
– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय. (३१.७.२०२२)