ज्ञानवापी हस्तांतरण प्रकरण !
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – मुगल सम्राट औरंगजेब वर्ष १६६९ में सत्ता में था, इसलिए उस समय जो भी संपत्ति थी, वह बादशाह औरंगजेब की थी । ज्ञानवापी प्रकरण में मुसलमान पक्षकार अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने न्यायालय को बताया कि औरंगजेब द्वारा संपत्ति दान दिए जाने के उपरांत ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई थी । इस पर ‘यदि औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद की संपत्ति दान में दी थी तो उन प्रलेखों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए’, हिंदू पक्ष की ५ महिला पक्षकारों ने मांग की । इसके साथ ही इन महिलाओं का कहना है कि ज्ञानवापी की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति कहना बहुत बड़ा कपट है।
ज्ञानवापी केस में औरंगजेब की 'एंट्री'! pic.twitter.com/0CrdBq8ecG
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) August 24, 2022
वर्तमान सरकार ३ सहस्त्र मस्जिदें नियंत्रण में ले ! – स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती
अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मुसलमान पक्षकारों के तर्क पर कहा, ‘ऐसा लगता है जैसे औरंगजेब के पिता स्वर्ग से भूमि लाए थे । ज्ञानवापी के आदान-प्रदान के संबंध में यदि मुस्लिम पक्ष यह तर्क दें कि ‘शासक और सत्ताधारी की भूमि’, होती है, तो हम वर्तमान सरकार पर दबाव डाल सकते हैं । यदि ऐसा किया जाता है तो सरकार को मंदिर गिरा कर निर्माण की गई सभी ३ सहस्त्र मस्जिदों का अधिग्रहण करना होगा । मुसलमान जिस प्रकार के तर्क दे रहे हैं उस परिस्थिति में यही युक्तिसंगत होगा, अत: योग्य यह होगा कि मुसलमान इस तरह के मिथ्या कृत्यों से बचें । अन्यथा उन्हें दीर्घकाल तक इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा ।
संपादकीय भूमिकाइससे विदित होता है कि मुसलमान कैसे – कैसे दावे कर रहे हैं, जिससे हिंदुओं को उनका आधिकारिक धार्मिक आस्था स्थान न मिल पाए ! ‘हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई’ का नारा लगाने वालों का इस विषय में क्या कहना है ? |