‘द वीक’ साप्ताहिक की ओर से भगवान शिव और कालीमाता का घृणास्पद चित्र प्रकाशित

  • कानपुर में अपराध पंजीकृत !

  • प्रधानमंत्री की आर्थिक परामर्शदाता समिति के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के लेख प्रकाशित करने से उनके द्वारा ‘द वीक’ के स्तंभलेखक पद का त्यागपत्र !

नई देहली – प्रसिद्ध साप्ताहिक ‘द वीक’ ने भगवान शंकर एवं कालीमाता का अत्यंत घृणास्पद चित्र प्रकाशित किया है । इससे हिन्दुओं की ओर से ‘द वीक’ के विरोध में प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं तथा भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने इस साप्ताहिक के विरोध में पुलिस में परिवाद पंजीकृत किया है । इस प्रकरण में पुलिस ने अपराध पंजीकृत किया है ।

साप्ताहिक ‘द वीक’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक परामर्शदाता समिति के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध लेखक बिबेक देबरॉय का ‘द फायर हैज सेवेन टंग्ज एंड वन ऑफ दीज इज मां काली !’ (अग्नि की ७ जिव्हाएं हैं तथा कालीमाता उनमें से एक हैं !) इस शीर्षकतले यह लेख प्रकाशित किया गया था । उसमें स्थित एक चित्र में ‘भगवान शिव नग्नावस्था में सोए हुए हैं और कालीमाता उन पर खडी हैं’, ऐसा दिखाया गया है ।

इसमें भगवान शंकर और कालीमाता का अत्यंत घृणास्पद चित्र प्रकाशित हुआ है । यह ज्ञात होने पर देबरॉय व्यथित हुए और उन्होंने ४ अगस्त को ट्वीट कर इस नियतकालिक के स्तंभलेखक पद का त्यागपत्र दिए जाने की घोषणा की ।

यह लेख २४ जुलाई को प्रकाशित किया गया है तथा ‘द वीक’ जालस्थल पर स्थित लेख की मार्गिका पर देखे जाने पर ४ अगस्त को कालीमाता का चित्र बदले जाने का दिखाई दिया । (६.८.२०२२)

‘द वीक’ की नैतिकता के विषय में प्रश्नचिन्ह ! – देबरॉय

इस विषय में देबरॉय ने कहा, ‘‘इस चित्र के लिए मेरी अनुमति नहीं ली गई है । ऐसे चित्रों के माध्यम से ‘द वीक’ अपनी लोकप्रियता बढाने का भले ही प्रयास कर रहा हो; परंतु उससे लोगों की भावनाएं भडकाने का और उन्हें उकसाने का प्रयास किया गया है । इससे ‘द वीक’ की नैतिकता के विषय में प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो रहा है । विश्वास बनाने में कुछ काल लगता है; परंतु ऐसा कृत्य विश्वास को तोड देता है । मैं ‘द वीक’ के ‘स्तंभलेखक’ पद का त्यागपत्र दे रहा हूं ।’’

संपादकीय भूमिका

  • हिन्दू देवताओं का अनादर करनेवाले ‘द वीक’ जैसे नियतकालिक क्या कभी मुसलमानों अथवा ईसाईयों के आस्था के केंद्रों का अनादर करने का साहस दिखाते हैं ?
  • हिन्दूबहुल भारत में देवताओं का अनादर करनेवालों को कठोर से कठोर दंड देनेवाला कानून ही न होने से कोई भी उठता है और हिन्दुओं के देवताओं का अनादर करता है । केंद्र सरकार को अब तो यह कानून बनाना चाहिए !