गुरुपूर्णिमा के शुभ दिवस पर भगवान दत्तात्रेय के रूप में गुरुदर्शन का अवसर ।
गुरु अर्थात ईश्वर के सगुण रूप ! गुरु अपने शिष्यों को भर-भरकर अध्यात्म का बोधामृत पिलाते रहते हैं । उन गुरुदेवजी के प्रति अनन्य भाव से कृतज्ञता व्यक्त करना ही सच्ची गुरुपूर्णिमा है ! जिन्हें गुरुरूप में साक्षात श्रीमन्नारायणस्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी मिले, ऐसे सनातन के साधकों के लिए कृतज्ञता का इससे अच्छा पर्व कौनसा होगा ? इस वर्ष की गुरुपूर्णिमा साधकों को निर्गुण की अनुभूति करानेवाली सिद्ध हुई, वह सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के श्री दत्तगुुरु के रूप में दर्शन से और उनकी पाद्यपूजा के कारण ! सप्तर्षियों की आज्ञा से गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में १३ जुलाई २०२२ को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने साधकों को श्री दत्तगुरु के रूप में दर्शन दिए । रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में संपन्न इस भक्तिमय महोत्सव में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’ श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने सप्तर्षियों की आज्ञा से श्री दत्तगुरु के रूप में स्थित गुरुदेवजी की पाद्यपूजा की ।
गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में सर्वत्र के साधकों के लिए संगणकीय प्रणाली के द्वारा इस समारोह का ‘ऑनलाइन’ प्रक्षेपण किया गया । आरंभ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रामनाथी (गोवा) में संपन्न दिव्य मंगलमय रथोत्सव की दृश्य-श्रव्य चक्रिका दिखाई गई । प्रत्यक्ष श्रीगुरुदेवजी द्वारा साधकों को दिए गए दर्शन से साधक कृतज्ञ हो गए । उसके उपरांत साधकों ने सामूहिक रूप से ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ नामजप किया । इस समय साधकों को आध्यात्मिक स्तर की अनुभूतियां हुईं ।
नामजप के माध्यम से श्री दत्तगुरु को पुकारने के उपरांत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने साधकों को श्री दत्तगुरु के रूप में दर्शन देकर कृतकृत्य किया । साधकों ने गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में प्राप्त गुरुदर्शन और उनके पाद्यपूजन को अपने मनमंदिर पर अंकित कर लिया ! इस समारोह की कुछ विशेषतापूर्ण क्षणिकाएं यहां प्रकाशित कर रहे हैं ।
श्री पाद्यपूजन समारोह में सप्तर्षियों के वचन की हुई प्रतीति !
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा गुरुदेवजी के चरणों पर पुष्पार्चना किए जाने के उपरांत श्री दत्त्वतत्त्व को जागृति आना : सप्तर्षियों ने बताया था कि ‘ॐ ऐं क्लीं श्रीं श्रीं श्रीं सच्चिदानन्द-परब्रह्मणे नमः ।’ इस मंत्रघोष से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी में विद्यमान दत्ततत्त्व बडी मात्रा में जागृत होगा ।’ उसकी साधकों को प्रतीति हुई । इस समारोह में गुरुदेवजी का श्री दत्तगुरु के रूप में पूजन होने के कारण वातावरण पहले से ही निर्गुण प्रतीत हो रहा था । ऐसे निर्गुण वातावरण में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा ‘ॐ ऐं क्लीं श्रीं श्रीं श्रीं सच्चिदानन्द-परब्रह्मणे नमः ।’ इस मंत्रघोष के साथ गुरुदेवजी के श्रीचरणों पर १०८ बार पुष्पार्चना करने के उपरांत वातावरण में परिवर्तन आया । उसके उपरांत शांति के स्पंदन अधिक मात्रा में प्रतीत होने लगे । ‘मंत्रघोष से युक्त पुष्पार्चना के उपरांत श्री गुरुदेवजी में विद्यमान श्री दत्तात्रेय के तत्त्व को जागृति मिली’, इसका साधकों ने प्रत्यक्ष अनुभव किया । ’ – श्री. विनायक शानभाग (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत) (१३.७.२०२२)
सूत्रसंचालक द्वारा ‘मोक्षस्थान’ शब्द का उच्चारण करते ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की पुष्पमाला में स्थित बेला के २ फूलों का नीचे गिर जाना
‘श्री दत्तगुरु के रूप में स्थित सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का पाद्यपूजन संपन्न होने पर सूत्रसंचालक श्री. विनायक शानभाग ने उन कोमल चरणों की स्तुति की । उस समय उन्होंने कहा, ‘हे गुरुदेवजी, आपके श्रीचरण ही हम साधकों का गंतव्यस्थान और हमारा मोक्षस्थान है ।’ जब उन्होंने ‘मोक्षस्थान’ शब्द का उच्चारण किया, उसी समय सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के गले में डाली गई बेला के फूलों की पुष्पमाला में स्थित २ फूल उनके चरणों पर गिर गए । मेरा और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का ध्यान भी उसी समय उन फूलों की ओर गया ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी मोक्षगुरु हैं । गुरुपूर्णिमा के मंगल दिन पर ‘साधकों का जीवनध्येय ‘मोक्षस्थान’ इस शब्द के उच्चारण के समय ही श्री गुरुदेवजी के गले में स्थित पुष्पमाला में स्थित फूलों का नीचे गिरना साधकों की आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्री दत्तगुरु रूप में स्थित गुरुदेवजी से प्राप्त बडा आशीर्वाद है ।’ – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी (१३.७.२०२२)
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के चरणों पर समर्पित फूलों की ऊंचाई एक समान होना
‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुदेवजी के चरणों पर पुष्प अर्पित किए । अंत में गुरुदेवजी के दोनों चरणों पर समर्पित फूलों की ऊंचाई एक समान दिखाई दी ।
चरणों पर समर्पित कुछ फूल कुछ समय उपरांत परात्पर गुरु डॉक्टरजी के चरणों के नीचे स्थित पटरे से नीचे गिर रहे थे । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की ओर का एक फूल नीचे गिरते ही दूसरी ओर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की ओर के चरणों पर समर्पित एक फूल भी नीचे गिरता था । उसमें भी समानता दिखाई दी ।’ – सुश्री (कु.) तेजल अशोक पात्रीकर (आध्यात्मिक स्तर ६२ प्रतिशत), संगीत समन्वयक, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय. (१५.७.२०२२)