८.७.२०२२ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में जयपुर के साधक श्री. आकाश गोयल आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत, सनातन संस्था के ७३ वें संत पू. प्रदीप खेमकाजी का भांजा तथा श्रीमती पुष्पा गोयल (आध्यात्मिक स्तर ६२ प्रतिशत) एवं श्री. जुगल किशोर का बेटा तथा जमशेदपुर की साधिका श्रीमती रेणु शर्मा एवं श्री. सुदामा शर्मा की बेटी सौ.का. मधुलिका शर्मा (आध्यात्मिक स्तर ६३ प्रतिशत) का मंगल विवाह संपन्न होनेवाला है । उसके उपलक्ष्य में उनके सहसाधकों को इन दोनों की ध्यान में आईं गुणविशेषताएं यहां दे रहे हैं ।
चि. आकाश गोयल एवं सौ.कां. मधुलिका शर्मा को शुभविवाह के निमित्त सनातन परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं !
चि. आकाश गोयल की गुणविशेषताएं !
श्रीमती मेघा पातेसरिया (आकाश की ममेरी बहन), रानीगंज, बंगाल
१. प्रेमभाव : आकाश में सभी के प्रति प्रेम और बहुत आदर का भाव है । वे सभी को प्रत्येक बात बहुत ही सहजता से बताते हैं और वे सभी छोटे-बडों के साथ प्रेमपूर्वक बातें करते हैं ।
२. सभी से समानतापूर्वक व्यवहार करना : उनके एक संबंधी को वे जो साधना करते हैं, वह अच्छा नहीं लगता; परंतु जब आकाश घर आते हैं, तब वे उन संबंधियों से मिलने जाते हैं ।
३. आकाश बहुत सहनशील और धैर्यवान हैं ।
४. सुनने की वृत्ति होना : उनमें अन्यों की बात सुनने की वृत्ति है । उन्हें घर के किसी ने कुछ भी करने के लिए कहा, तो वे सभी की बात सुनकर उसके अनुसार कृति करते हैं ।
सौ.कां. मधुलिका शर्मा की गुणविशेषताएं !
राष्ट्र और धर्म के प्रसार का कार्य करते समय कभी कु. मधुलिका से संपर्क होने पर उनमें विद्यमान आध्यात्मिक गुणों के विषय में ध्यान में आए सूत्र यहां दे रहे हैं ।
१. श्री. शंभू गवारे (आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत), पूर्व एवं पूर्वाेत्तर भारत राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
१ अ. निर्मलता : मधुलिका दीदी में निर्मलता है । जब उनके व्यष्टि साधना के प्रयास अच्छे होते हैं, तब वे उसे भावपूर्ण और कृतज्ञतापूर्वक बताती हैं और प्रयास नहीं हुए, तब भी वे खुले मन से बताती हैं । प्रयास न होने के प्रति खेद भी होता है । उसके कारण उनमें परिवर्तन भी आता है ।
१ आ. स्वयं को बदलने की लगन होना : कु. मधुलिका दीदी की प्रकृति समष्टि सेवा करने की नहीं है; परंतु कुछ समय उपरांत उन्होंने स्वयं में इस गुण का विकास करने का प्रयास किया । कार्यकर्ता और साधकों से नियमित रूप से बात करना, उनकी साधना का ब्योरा लेना, सेवाओं की समीक्षा करना जैसी विभिन्न सेवाएं वे मन से करती हैं; ऐसा सहजता से प्रतीत होता है ।
२. श्रीमती पूजा चौहान, रांची, झारखंड
२ अ. सहसाधकों की सहायता करने के लिए सदैव तत्पर होना : ‘मधुलिका दीदी हमारी व्यष्टि साधना का ब्योरा लेती हैं । बीच में २-३ सप्ताह मेरे साधना के प्रयास अल्प हो रहे थे, तब उन्होंने कठोर शब्दों में मुझे साधना के प्रयास करने का भान कराया । व्यष्टि ब्योरा सत्संग समाप्त होने के उपरांत उन्होंने तुरंत ही चल-दूरभाष कर मुझसे पूछा, ‘‘मैने कहीं आपको बहुत कठोर शब्दों में तो नहीं बताया न ?’’ दीदी में मधुरता इतनी है कि भले वे कठोर वाणी में भी बोलें, तब भी वे अपनी नित्य मधुर वाणी में ही बोलती हैं ।’
३. कु. एकता राम, देवघर, झारखंड
३ अ. प्रेमभाव : ‘मधुलिका दीदी इतनी मधुर हैं कि उनके साथ बोलते समय सामनेवाले व्यक्ति को मधुर होना ही पडता है । दीदी में वात्सल्य भाव भी है । ‘उनके पास साधकों का दायित्व है’, यही सभी को लगता है । हम जब एकत्रित सेवा करते हैं, उसमें आरंभ में मुझसे अनेक चूकें हो रही थीं । सेवा पूर्ण करने के लिए समयसीमा होते हुए भी (deadline) मैं समय में सेवा पूर्ण नहीं कर पा रही थी, तब वे मुझे प्रेमपूर्वक समय में सेवा पूर्ण करने के लिए प्रोत्साहन देती थीं ।
३ आ. साधना में अन्यों की सहायता करना : एक बार किसी व्यावहारिक समस्या के कारण मैं दुखी थी और मैंने वह बात किसी को नहीं बताई थी । तब परात्पर गुरुदेवजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) ने मधुलिका दीदी के माध्यम से मुझे समझकर लिया । उन्होंने मुझसे पूछकर मुझे उचित दृष्टिकोण दिया, उसके कारण मेरी समस्या का संपूर्ण रूप से समाधान हुआ । दीदी हमारे लिए प्रेरणा हैं । गुरुदेवजी एवं हम सभी साधकों को वे अत्यंत प्रिय हैं ।
४. श्रीमती सोम गुप्ता (आध्यात्मिक स्तर ६२ प्रतिशत), धनबाद, झारखंड
४ अ. सेवा को प्रधानता देना : ‘अब दीदी का विवाह बहुत निकट आया है; परंतु तब भी वे सेवा को ही प्रधानता देती हैं ।’
५. श्रीमती मेघा पातेसरिया, रानीगंज, बंगाल
५ अ. साधकों को आधार प्रतीत होना : ‘साधना अथवा व्यवहार के विषय में किसी की कुछ भी स्थिति हो, हम खुले मन से अपने मन की बात उन्हें बता सकते हैं और वे समझकर लेती हैं और हमारा मार्गदर्शन करती हैं । वे आयु में हम से छोटी हैं; परंतु प्रत्येक परिस्थिति की ओर देखने का उनका दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है । वे हमारे लिए आधारस्तंभ हैं ।’ (२९.६.२०२२)
पहले से ही ईश्वर नियोजित रहता है, पति-पत्नी का पवित्र बंधनपरमदयालु ईश्वर की कृपा से, आषाढ नवमी के शुभ दिन, आकाश भैया की वाणी में है नम्रता, एक जैसा प्रेमभाव है दोनों में, दोनों में है गुरु कार्य की लगन, दोनों ने ठान लिया है, आध्यात्मिक यात्रा साथ में करेंगे, हिन्दू राष्ट्र का ध्येय सदा स्मरण रखेंगे, राधा-कृष्ण के आशीर्वाद से, यही प्रार्थना विष्णु-लक्ष्मी के श्री चरणों में… – कु. वर्षा जबडे, रामनाथी आश्रम, गोवा. |