‘काली’ पोस्टर के बाद अब धर्मद्रोही लीना मणीमेकलई के द्वारा आपत्तिजनक फोटो प्रसारित !
नई देहली – ‘काली’ वृत्त चित्र निर्मात्री लीना मणीमेकलई ने उनके आक्षेपार्ह पोस्टर के लिए क्षमा मांगने से मना करने के बाद अब उन्होंने एक नया फोटो प्रसारित किया है । इसमें अब भगवान शिव एवं पार्वती देवी के वेशभूषा पहने हुए पुरुष धूम्रपान करते हुए दिखाए हैं । इसे ‘इतरत्र’ ऐसा शीर्षक दिया गया है । इस चित्र पर सोशल मीडिया से लीना की आलोचना हो रही है ।
‘भारत कभी भी हिन्दु राष्ट्र नहीं बन सकता ! – लीना मणीमेकलई
लीना मणीमेकलई ने इस फोटो पर आगे ट्वीट करके कहा है, ‘भाजपा’ की ‘पेरोल ट्रोल आर्मी’ को (पैसे देकर सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध करने वाली सेना को) पता नही है कि, नाटक के अभिनेता उनके काम के बाद कितना शांत रहते हैं । यह तस्वीर मेरे चित्रपट की नहीं है । यह ग्रामीण भारत का फोटो है, जिसे संघ परिवार भारत से अपनी अथक घृणा और धार्मिक कट्टरता के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश कर रहा है । भारत कभी भी हिन्दु राष्ट्र नहीं बन सकता ।’
BJP payrolled troll army have no idea about how folk theatre artists chill post their performances.This is not from my film.This is from everyday rural India that these sangh parivars want to destroy with their relentless hate & religious bigotry. Hindutva can never become India. https://t.co/ZsYkDbfJhK
— Leena Manimekalai (@LeenaManimekali) July 7, 2022
यह चित्र प्रसिद्ध करने के पीछे किसिका भी धार्मिक भावना को आघात पहुंचाना नहीं है । जानकारी के लिए यह चित्र प्रसिद्ध किया गया है । – संपादक |
हिन्दु धर्म का अपमान करना, अर्थात उदारवाद है क्या ? – भाजपाइस चित्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि, यह रचनात्मक अभिव्यक्ति की बात नहीं है, यह एक जानबूझकर किया गया उकसावा है । क्या हिन्दुओं को गाली देना ही धर्मनिरपेक्षता है ? कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, लीना का समर्थन कर रहे हैं; इसलिए उसे ऐसे चित्र प्रसारित करने के लिए बढावा मिल रहा है । |
कौन हैं लीना मणीमेकलई ?लीना मणीमेकलई का जन्म तमिलनाडू राज्य के मदुराई में महाराजापूरम् गांव में हुआ था । उस गांव में ऐसी प्रथा थी कि, लडकी एक की आयु हो जाने पर कुछ वर्षों में ही उसके मामा के साथ उसका विवाह कर देना । लीना का विवाह भी उसके मामा के साथ तय हुआ था; पर विवाह की तैयारीयां होते समय ही वह घर छोडकर चेन्नई भाग गईं । उसके बाद उन्होंने अभियान्त्रिकी; साथ ही आईटी क्षेत्र के साथ कई जगह नौकरी की एवं बाद में वे चलचित्र क्षेत्र में आईं । देवदासी प्रथा पर उनकी डॉक्युमेंट्री ‘मथिम्मा’ वृत्तचित्र पर कईयों ने आपत्ति जताई थी । दलित महिलाओं पर होने वाली हिंसा पर बनाई हुई ‘पराई’ और धनुषकोडी के मछुआरों पर बनाई हुई ‘सेंगदाल’ डॉक्युमेंट्री पर भी चर्चा हुई थी । |
संपादकीय भूमिका
इस प्रकार से जान बूझ कर हिन्दुओं के देवताओं का अवमान करके भारत में असंतोष निर्माण करने के पीछे अन्तर्राष्ट्रीय षड्यन्त्र है क्या ? इस की खोज भारत सरकार ने करनी चाहिए ! |