दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा की मुखरता !
नई दिल्ली: यह कैसे सिद्ध होगा कि उदयपुर की घटना (कन्हैयालाल की हत्या) नूपुर शर्मा के वक्तव्य के कारण हुई थी ? बिना किसी जांच के, बिना गवाहों के और नूपुर शर्मा का पक्ष सुने बिना इस प्रकार का मत व्यक्त करना न केवल अवैध है बल्कि अनुचित भी है । इसके अतिरिक्त यह मत उत्तरदायित्व शून्य है तथा कानून के विरुद्ध भी है, दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस.एन. ढींगरा ने व्यक्त किया। नूपुर शर्मा प्रकरण की सुनवाई के समय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और परदीवाला ने हाल ही में कहा था, ”उदयपुर की घटना के लिए नूपुर शर्मा उत्तरदायी हैं” । ढींगरा इस विषय में बात कर रहे थे ।
Former Delhi High Court Judge Justice SN Dhingra has stated in an interview that the comments made by the vacation bench that Nupur Sharma’s comment resulted in the outcome of the unfortunate incident in Udaipur was “irresponsible” (India TV) pic.twitter.com/JtVEmuDiql
— LawBeat (@LawBeatInd) July 2, 2022
देहली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ढींगरा द्वारा प्रस्तुत सूत्र!
१. उच्चतम न्यायालय के मत ने कनिष्ट न्यायालयों में शर्मा के विरुद्ध पूर्वाग्रह पैदा किया है!
उच्चतम न्यायालय के ऎसे मत व्यक्त करने से वर्तमान कनिष्ट न्यायालयों में नूपुर शर्मा के विरुद्ध पूर्वाग्रह निर्माण कर दिया है । याचिका को डर दिखा कर एवं धमका कर निरस्त कर दिया गया । अब कनिष्ट न्यायालय भी उच्चतम न्यायालय के मत के विरोध कुछ करने का साहस नहीं करेंगी ।
२. न्यायमूर्तियों ने निर्णय में अपने मत क्यों नहीं लिखे ?
यदि सर्वोच्च न्यायालय कोई मत व्यक्त करना चाहता है, तो उसे लिखित रूप में ऐसा करना होगा, जिससे न्यायालय की ऊपरी पीठों में निर्णय के विरोध में न्याय याचना की जा सके । न्यायमूर्तियों ने अपने मत निर्णय में क्यों नहीं लिखे ?
३. उच्चतम न्यायालय भी कानून से ऊपर नहीं !
उच्चतम न्यायालय भी कानून से ऊपर नहीं है । कानून यह भी कहता है, ‘जिन लोगों को आप दोषी ठहरा रहे हैं, उन्हें पहले आरोपित किया जाना चाहिए । वादी और प्रतिवादी दोनों को अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जानी चाहिए । साक्षियों को अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके उपरांत न्यायालय साक्ष्यों पर विचार कर निर्णय ले सकता है ।’
४. वास्तव में याचिका का विषय भिन्न था एवं न्यायालय ने स्वयं नूपुर शर्मा के वक्तव्य पर ध्यान दिया !
इस प्रकरण में नूपुर शर्मा को बलात्कार और प्राणांत करने की धमकियां मिल रही हैं, इसलिए उन्होंने अलग-अलग राज्यों से आपराधिक प्रकरण देहली स्थानांतरित करने की मांग की थी। यद्यपि शीर्ष न्यायालय ने शर्मा के वक्तव्य पर संज्ञान लेते हुए कहा, ”शर्मा का वक्तव्य लोगों को भड़काने वाला है ।”
५. यदि मैं कनिष्ट न्यायालय में न्यायाधीश होता तो मैंने इन न्यायमूर्ति को न्यायालय में बुलाया होता !
यदि मैं कनिष्ट न्यायालय में न्यायाधीश होता तो मैंने उच्चतम न्यायालय के इन न्यायमूर्ति को साक्ष्य देने के लिए न्यायालय में बुलाकर, ‘नूपुर शर्मा का वक्तव्य भड़काऊ था’, यह साक्ष्य देने के लिए बुलाया होता, तो इन्हें न्यायालय में आकर साक्ष्य देना पडता ।