नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए भारत की सहायता आवश्यक ! – डॉ. भोलानाथ योगी, हिन्दू विश्वविद्यालय, नेपाल

 

डॉ. भोलानाथ योगी

‘नेपाल में ९५ प्रतिशत हिन्दू हैं; परंतु पाश्चात्त्यों के प्रभाव के कारण अब वहां पर टोपी के स्थान पर टाइ को महत्व दिया जा रहा है । नौकरी के निमित्त पश्चिमी देशों में जाने के कारण नेपाल में पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढ रहा है । इसलिए वहां अब हाथों से भोजन करना असभ्य समझा जाता है । पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढा है, तो भी नेपाल आज भी भारतीय संस्कृति से जुडा है । वर्तमान में नेपाल में १० हजार नागरिक भारत के धार्मिक क्षेत्रों का दर्शन करने के लिए भारत आते हैं; परंतु यह सब हिन्दू संगठित नहीं हैं । इसलिए नेपाल साम्यवादी और नास्तिकतावादियों का अड्डा बन गया है । नेपाल सांस्कृतिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र ही है; परंतु संविधान से मान्यता प्राप्त कर उसका हिन्दू राष्ट्र बनना आवश्यक है । नेपाली जो टोपी डालते हैं वह हिमालय का प्रतीक है । नेपाल में चलनेवाले नोटों पर भगवान गोरखनाथ का चित्र है । नेपाल में आज भी ईसाई ‘कैलेंडर’ नहीं चलता है, वहां पर हिन्दू पंचांग का उपयोग किया जाता है । नेपाल धार्मिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र ही है । संवैधानिक रूप से हिन्दू राष्ट्र बनने के लिए हमें भारत से सहायता की आवश्यकता है ।’ ऐसा प्रतिपादन नेपाल के हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. भोलानाथ योगी ने किया । वह अधिवेशन के छठे दिन के ‘विदेशी हिन्दुओं का रक्षण’ इस सत्र के ‘पाश्चात्त्य सभ्यता के प्रभाव के कारण नेपाल में हिन्दू संस्कृति की हो रही हानि’, इस विषय पर बोल रहे थे ।

भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और संप्रदायों की सहायता से नेपाल में १ महिने में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना संभव ! – श्री. शंकर खराल, केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विश्व हिन्दू महासंघ, नेपाल

 

श्री. शंकर खराल

नेपाल के लोग पराक्रमी और सनातन परंपरावादी हैं; परंतु उनके बलहीन होने के कारण, साथ ही राजनीतिक वर्चस्व के कारण नेपाल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना । नेपाल पुनः हिन्दू राष्ट्र हो; इसके लिए वे प्रयास कर रहे हैं, तथापि नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने में ४ बाधाएं हैं । पहली बाधा आंतरिक है । नेपाल के विभिन्न हिन्दू संप्रदाय संगठित नहीं हैं । उन्हें संगठित करना आवश्यक है । दूसरी बाधा बाह्य शक्ति की है । चीन और अमेरिका नेपाल का उपयोग कर अपना लाभ कर ले रहे हैं । नेपाल को बाह्य आक्रमण से बचाया जाना चाहिए । तीसरी बाधा सैद्धांतिक है । इसमें वामपंथियों ने नेपाल में हिन्दू राष्ट्र मिटाकर उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना दिया है । उसके कारण नेपाल में भौतिकतावादी विचार और बेरोजगारी बढी है । चौथी बाधा व्यावहारिक और अस्पृश्यता है । नेपाल में स्थित अस्पृश्यता नष्ट करनी होगी । नेपाल में हिन्दुत्वनिष्ठ सांसदों की संख्या बढाकर वहां हिन्दू राष्ट्र लाना चाहिए । उसके लिए दो तिहाई सांसदों की आवश्यकता है । उक्त ४ बाधाएं दूर करनी हो, तो भारत के संतों को नेपाल की सहायता करनी चाहिए । भारत के संतों, संप्रदायों, हिन्दुत्वनिष्ठों और समविचारी लोगों को संगठित कर उनकी सहायता से नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी चाहिए । नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने में भारत को साथ देना चाहिए । उसके लिए प्रत्येक जिले में सनातन संपर्क अभियान चलाए जा रहे हैं, उसमें सबसे अधिक गुरुकुल अभियान चल रहे हैं । भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और संप्रदायों ने संगठितरूप से हमारी सहायता की, तो हम केवल १ महिने में नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर सकते हैं, ऐसा प्रतिपादन नेपाल के विश्व हिन्दू महासंघ के केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री. शंकर खराल ने ‘नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने में आ रही बाधाएं’, इस विषय पर बोलते हुए किया ।