यदि बंगाल पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए नहीं रख सकती है, तो केंद्रीय सुरक्षा बलों को बुलाएं !

कोलकाता उच्च न्यायालय ने हिंसा पर तृणमूल कांग्रेस सरकार को फटकारा !

कोलकाता (बंगाल) – ‘यदि राज्य में कानून व्यवस्था, राज्य पुलिस द्वारा बनाए नहीं रखी जा सकती है, तो केंद्रीय सुरक्षा बलों को बुलाया जाना चाहिए’, कोलकाता उच्च न्यायालय ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार को फटकार लगाते हुए कहा । नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के कारण राज्य में हिंसा के उबाल को लेकर न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाई है । हिंसा के संबंध में कुछ याचिकाएं प्रविष्ट की गई हैं । न्यायालय इस प्रकरण की सुनवाई कर रहा है ।

 

१. न्यायालय ने कहा कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के सी.सी.टी.वी. चित्रीकरण को एकत्र करें । इससे हिंसा से संबंधित लोगों की पहचान की जा सकेगी तथा उन पर आपराधिक प्रकरण प्रविष्ट किया जा सकेगा । सरकार को उन लोगों को क्षतिपूर्ति देने के संबंध में भी शासकीय भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए, जिनकी संपत्ति को क्षति पहुंची है । न्यायालय ने इस संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है ।

२. नीलाद्री साहा की ओर से प्रविष्ट याचिका में कहा गया है कि जब भाजपा कार्यालय में आग लगाई जा रही थी, उस समय पुलिस मूक दर्शक बनी देख रही थी ।

३. एक अन्य याचिका में कहा गया है कि ९ जून को हावडा के अंकुरहाटी में राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध कर सार्वजनिक संपत्ति को हानि पहुंचाई गई थी । याचिका में अपराधियों की पहचान कर उनसे क्षतिपूर्ति करवाने की मांग की गई है ।

४. बंगाल में हावडा, मुर्शिदाबाद, २४ परगना, नदिया तथा अन्य स्थानों पर मुसलमानों ने हिंसाचार किया था । पुलिस पर पथराव करने के अतिरिक्त हिन्दुओं के अनेक घरों में आग लगा दी गई थी । रेलगाडी पर आक्रमण कर उसे भी क्षतिग्रस्त किया गया, जिसमें कुछ यात्री भी घायल हुए ।

संपादकीय भूमिका 

राज्य में कानून-व्यवस्था तो पहले से ही चरमराई हुई है । इसलिए यहां के हिन्दुओं को लगता है कि न्यायालय को राज्य में कानून व्यवस्था संभालने के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों की नियुक्ति का आदेश देना चाहिए !