चारधाम यात्रा के मार्ग पर पडे कूडे के कारण पर्यावरण को खतरा ! – विशेषज्ञों की चिंता

देहरादून (उत्तराखंड) – चारधाम यात्रा ३ मई से आरंभ होने के उपरांत अभी तक ८ लाख लोगों ने यह यात्रा पूर्ण की है । कोरोना के कारण २ वर्ष यह यात्रा बंद थी । इसके बाद प्रारंभ हुई इस यात्रा के मार्ग पर वर्तमान में सभी ओर प्लास्टिक के झोले, बोतलों सहित कूडे का ढेर दिख रहा है, जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता है । इस पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है । इससे संबंधित छायाचित्र सामाजिक माध्यमों से प्रसारित हो रहे हैं ।

१. ‘गढवाल सेंट्रल युनिवर्सिटी’ के भूगोल विभाग के प्रमुख प्रा.एम.एस. नेगी ने कहा कि केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थानों पर जिस प्रकार कूडा इकट्ठा है, यह खतरनाक है । इस कारण क्षरण निर्माण होकर भूस्खलन हो सकता है । वर्ष २०१३ की त्रासदी को हमें ध्यान में रखना चाहिए । (वर्ष २०१३ में केदारनाथ में भयंकर बाढ आई थी ।)

२. उत्तराखंड का ‘हाई ऐल्टिट्यूड प्लांट फिजिओलॉजी रिसर्च सेंटर’ के संचारक प्रा. एम.सी. नौटियाल ने कहा कि ‘पर्यटकों की संख्या अनेक गुना बढी है, इस कारण प्लास्टिक का कूडा बढा है । इसका परिणाम प्राकृतिक वनस्पति पर भी हुआ है ।’