कुतुब मीनार हिन्दू वास्तुशास्त्रानुसार बनाया गया सूर्यस्तंभ ! – पुरातत्व विशेषज्ञ धर्मवीर शर्मा

नई दिल्ली – २१ जून के दिन दोपहर १२ बजे सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाता है । इस अध्ययन के लिए ही कुतुब मीनार का निर्माण किया गया । यह सूर्यस्तंभ है । राजा विक्रमादित्य ने शास्त्रज्ञ वराहमीर के मार्गदर्शन में यह निर्माण किया है, ऐसा भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व क्षेत्रीय संचालक पुरातत्व विशेषज्ञ धर्मवीर शर्मा ने कहा है ।

शर्मा ने कहा कि, कुतुब मीनार की छाया नहीं पडती । इसमें २७ छोटे झरोखे हैं । इस पर संकेत चिन्ह हैं जो ज्योतिष और नक्षत्रों की गणना के लिए बनाए गए हैं । इसके लिए कुतुब मीनार परिसर में २७ मंदिर थे , जो बाद में मुगलों द्वारा तोड दिये गए । कुतुब मीनार के नीचे एक विशेष दिशा में खडे होकर २५ इंच नीचे झुकने पर आपको ध्रुवतारा दिखता है । कुतुब मीनार हिन्दू वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाया गया है । इस पर अरबी भाषा के शिलालेख मुगलों ने बाद में चिपकाए हैं । सर सय्यद अहमद खान ने इनका अध्ययन कर कहा था कि ये शिलालेख चिपकाए हुए लग रहे हैं । मुगलों की सत्ता आने के उपरांत उनकी प्रशंसा करने के लिए शिलालेख चिपकाए गए हैं ।

कुतुब मीनार स्थित मस्जिद के खंभों पर भगवान नरसिंह की दुर्लभ मूर्ति

कुतुब मीनार स्थित हिन्दू और जैन मंदिरों को गिराकर वहां बनाई गई कुव्वत-उल्-इस्लाम मस्जिद के खंभों पर एक मूर्ति मिली है । यह मूर्ति भगवान नरसिंह और भक्त प्रह्लाद की है, यह जानकारी भी धर्मवीर शर्मा ने दी ।

१. धर्मवीर शर्मा ने बताया कि यह मूर्ति ८ वीं शताब्दी के प्रतिहार राजाओं में से एक राजा अनंगपाल के समय की है । इस प्रकार की मूर्ति अन्य कहीं भी नहीं मिली । इस कारण यह दुर्लभ है । अभी तक हमने भगवान नरसिंह की मूर्ति देखी है, जिसमें नरसिंह भगवान द्वारा हिरण्यकश्यप का वध करते हुए दिखाया है; परंतु इस मूर्ति में भक्त प्रह्लाद भगवान नरसिंह का क्रोध शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना करने के पश्चात भगवान नरसिंह उन्हें गोद में लेते हैं, ऐसा इसमें दिखाई देता है ।

२. इस मूर्ति के संबंध में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय ने बताया कि इस मूर्ति के छायाचित्र देश के पुरातत्व विशेषज्ञों को अध्ययन के लिए भेजे गए हैं ।