यह भी स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन का हिमालय पर कोई प्रभाव नहीं है !
नई देहली : भारत में लाखों हिन्दुओं की श्रद्धास्थान गंगा नदी कभी नहीं सूखेगी, एक अध्ययन से यह विदित हुआ है । कैटो इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता, स्वामीनाथन एस. अय्यर और ग्लेशियोलॉजिस्ट विजय रैना द्वारा यह शोध किया गया है । इससे पूर्व, ‘इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ के एक अध्ययन में कहा गया था कि ‘‘जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय की बर्फ के पिघलने से २०३५ में गंगा सूख जाएगी ।’’ वर्तमान शोध उसे निरस्त कर रहा है ।
हिमालय की बर्फ पिघलने की प्रक्रिया सैकडों वर्षों से निरंतर चल रही है !
कैटो इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘‘जलवायु परिवर्तन से हिमालय की बर्फ नहीं पिघलेगी । मूलत: हिम युग की समाप्ति के उपरांत से ११,७०० वर्षों से बर्फ पिघलने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है ।’’
Fears of global warming rapidly melting Himalayan glaciers that feed major river basins in India are unfounded, according to a paper published by the US-based think tank Cato Institute.
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— Business Standard (@bsindia) May 4, 2022
गंगा नदी में हिमालय के पिघलनेवाले बर्फ के पानी की मात्रा मात्र १% है !
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उपग्रह द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, २००२ और २०११ के बीच हिमालय के अधिकांश पहाडों पर हिमपात स्थिर थी । कुछ पहाडों का आकुंचन हुआ है । गंगा के उद्गम स्थल, गंगोत्री के बर्फ से ढके पहाड अगले ३,००० वर्षों तक रहेंगे; क्योंकि यहां प्रत्येक वर्ष हिमपात होता है । यह बर्फ वसंत ऋतु में पिघलती रहती है और गर्मियों में यह गंगा तक पहुंच जाती है । गंगा में ऐसे बर्फ के पानी की मात्रा केवल १% है । अब तक, यह कहा जाता रहा है कि गंगा को हिमालय की बर्फ से पानी मिलता है; किन्तु, प्रत्यक्ष अध्ययन में देखा गया है कि ऐसा नहीं है । वर्षा और हिमपात के कारण नदियों में पानी आता है । जलवायु परिवर्तन से गर्मी बढ रही है । इससे समुद्री जल का बडे स्तर पर वाष्पीकरण हो रहा है । इसके फलस्वरूप, अच्छी वर्षा भी होती है और नदियों में पानी आता है । (५.५.२०२२)