मालदीव के विपक्षी सांसदों ने सरकार गिराने के लिए भारत से ६० लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की थी ।
माले (मालदीव) – अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट ने खबर छापी है कि मालदीव में भारत विरोधी अभियान चलाकर सत्ता में आये राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार को भारत ने ही बचाया है । रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने की साजिश के तहत विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने जनवरी २०२४ में भारत से ६० लाख डॉलर ( ५१ करोड ३६ हजार रुपये) की मांग की ; लेकिन भारत ने इस मांग को खारिज कर दिया । जनवरी २०२४ में भारत-मालदीव के रिश्ते उस वक्त तनावपूर्ण हो गए जब सत्ताधारी पार्टी के कुछ सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेबुनियाद आरोप लगाए ।
१. ‘डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव’ नामक एक आंतरिक दस्तावेज़ पर आधारित वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में मालदीव की संसद के ४० सदस्यों को रिश्वत देने की एक विस्तृत योजना का खुलासा हुआ । मुइज्जू की पीपल्स नेशनल कांग्रेस के सांसदों ने उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची । मुइज्जू पर महाभियोग चलाने के लिए ज़रूरी वोट पाने के लिए भारत से पैसे की मांग की गई थी ।
२. वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि उसे जो दस्तावेज़ मिले उनमें कई वरिष्ठ सैन्य और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने और देश के तीन सबसे बड़े आपराधिक गिरोहों की मदद लेने की योजना शामिल थी। यह सब मुहम्मद मुइज्जू को सत्ता से बेदखल करने के लिए था। विभिन्न पक्षों को भुगतान करने के लिए भारत से ८ करोड ७० लाख ‘ रूफिया ‘ की (मालदीव की मुद्रा . यांनी ६० लाख अमेरिकी डॉलर) मांग की जानी थी । जनवरी २०२४ तक, भारत की खुफिया एजेंसी ‘ रॉ ‘ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के अधिकारियों ने महमंद मुइज्जू को हटाने की संभावना तलाशने के लिए मालदीव के विपक्षी नेताओं के साथ गुप्त बातचीत शुरू कर दी थी। हालाँकि, यह योजना कभी सफल नहीं हुई।
३. उधर, इस खबर की मालदीव के भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने आलोचना की है । उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस साजिश के बारे में कोई जानकारी नहीं है । मोहम्मद नशीद ने कहा कि भारत हमेशा से मालदीव के लोकतंत्र का समर्थक रहा है ।