लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) में होली मनाने के लिए मस्जिदों ने बदला नमाज का समय !

  • हिन्दू त्योहारों के दिन, हिन्दुओं ने, मस्जिदों से पत्थर फेंकने या हिन्दुओं पर आक्रमण के समाचार अनेक बार पढे होंगे । किन्तु वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ, सनातन संस्कृति के पोषक, योगी माननीय आदित्यनाथ जी की सरकार होने के फलस्वरूप, अब ऐसे समाचार पढने को मिल रहे हैं ! – संपादक

 

  • अल्पसंख्यकों के ऐसे व्यवहार को उनकी ‘सौहार्द वृत्ति’ या ‘सहिष्णुता’ नहीं समझना चाहिए । उत्तर प्रदेश में, योगी आदित्यनाथ एक प्रखर हिन्दू समर्थक हैं एवं वे हिन्दू मत दाताओं की बहुत बडी जनसंख्या द्वारा चुने गए हैं । इसलिए, हिन्दू द्वेषी समुदाय के होश उड गए हैं । उन्हें यह विदित है, कि यदि होली के पावन त्यौहार पर कोई अनपेक्षित घटना घटी, तो उसे सहन नहीं किया जाएगा । इसलिए, कोई विकल्प न होने के कारण, उन्होंने विवशता में यह  निर्णय लिया है । – संपादक

 लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – यहां कम से कम २२ मस्जिदों ने होली के कारण अपनी शुक्रवार की नमाज का समय पुनर्निर्धारित करने का निर्णय लिया है । यहां अधिकांश मस्जिदों में, शुक्रवार की नमाज और खुतबा (प्रवचन) सामान्यत: अपरान्ह १२.३० बजे किया जाता है । इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (आई.सी.आई.) के अनुसार, चूंकि इस वर्ष पूरे देश में होली और शब-ए-बारात एक ही दिन मनाई जाएगी, इसलिए, नगर  की मस्जिदों ने अपरान्ह १:३० बजे के उपरांत शुक्रवार की नमाज आयोजित करने का निर्णय किया है । शब-ए-बारात एक मुसलमान त्योहार है, इसलिए इस दिन बडी संख्या में मुसलमान मस्जिद जाते हैं और नमाज पढते हैं । मुसलमानों की मान्यता है कि, यदि कोई इस दिन किए गए पापों के लिए सत्यनिष्ठा व प्रामाणिकता से क्षमा याचना करता है, तो अल्लाह उसको क्षमा प्रदान करते हैं ।

१. नमाज का समय परिवर्तित करने वालों में, ऐशबाग ईदगाह की जामा मस्जिद, अकबरी गेट की मीनारा मस्जिद, शाहमीना शाह मस्जिद सम्मिलित हैं ।

२. मौलाना राशिद, आई.सी.आई. नेता और ऐशबाग ईदगाह के इमाम ने सुझाव दिया था, कि होली के दिन किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए, मस्जिदों को अपनी प्रार्थना का समय बदलना चाहिए ।

३. चूंकि शब-ए-बरात भी होली के दिन ही पडता है, इसलिए मौलवियों ने मुसलमानों को कार्यक्रम समाप्त होने के उपरांत ही मस्जिद और अपने प्रियजनों की कब्रों पर जाने का परामर्श दिया  है । मुसलमानों को परामर्श दिया गया है, कि वे घर से दूर मस्जिदों में जाने के बजाय, अपनी स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढें ।