गांधी परिवार को काँग्रेस का नेतृत्व छोडना चाहिए ! – काँग्रेस नेता कपिल सिब्बल

काँग्रेस नेता ने बताया और गांधी परिवार ने सुना, ऐसा कभी होगा क्या ? काँग्रेस में पिछले ७५ वर्षों से परिवारवाद भरा हुआ है, यह इतनी आसानी से कैसे समाप्त होगा ? यह काँग्रेस के साथ ही समाप्त होगा और जनता उसे जल्द ही समाप्त करेगी, यह निश्चित है ! – संपादक

नई दिल्ली – गांधी परिवार को काँग्रेस का नेतृत्व छोडना चाहिए और अन्य किसी व्यक्ति को अवसर देना चाहिए, ऐसा प्रखर मत काँग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने व्यक्त किया । ‘गांधी को स्वेच्छा से किनारे हो जाना चाहिए; कारण उनके द्वारा बनाए गए संगठन के लोग कभी उन्हें ‘आप नेतृत्व छोडें’ ऐसा कहेंगे नहीं’ ऐसा भी सिब्बल ने कहा । ५ राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुई भीषण पराजय की पृष्ठभूमि पर काँग्रेस कार्यकारिणी समिति की आत्मपरीक्षण बैठक १३ मार्च के दिन हुई । इस बैठक के बाद सिब्बल ने यह मत व्यक्त किया है ।

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि,

१. काँग्रेस पार्टी का नेतृत्व बहुत ही संकुचित विचार कर रहा है उन्होंने पिछले ८ वर्षों में पार्टी की पतझड क्यों हो रही है ?, इसके कारण ज्ञात नहीं ।

२. जिस प्रकार मुझे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में काँग्रेस पार्टी की पराजय होने के विषय में आश्चर्य नहीं लगा, उसी प्रकार इस पराजय के बाद भी काँग्रेस के नेताओं ने सोनिया गांधी के पास नेतृत्व होना चाहिए, यह निर्णय लेने का भी आश्चर्य नहीं लगा ।

३. काँग्रेस कार्यकारिणी समिति के बाहर के बहुत से नेताओं के मत इस कार्यकारिणी समिति के मतों की अपेक्षा बहुत अलग है । काँग्रेस कार्यकारिणी समिति के बाहर भी काँग्रेस पार्टी है । उनके मत भी सुनने चाहिए । हमारे जैसे अनेक नेता हैं जो कार्यकारिणी समिती में नहीं हैं; लेकिन वे काँग्रेस पार्टी में होने पर भी उनके मत अलग हैं । ‘कार्यकारिणी समिति ही संपूर्ण भारत के काँग्रेस का प्रतिनिधित्व करती है’, ऐसा उन्हें लगता है । यह अयोग्य है ।

४. मैं सभी की ओर से नहीं बोल सकता; लेकिन मुझे अपना मत रखना हो तो कम से कम मुझे तो ‘सब की काँग्रेस’ ऐसी पार्टी चाहिए, तो कुछ लोगों को ‘घर की काँग्रेस’ चाहिए । मैं अंतिम श्वास तक ‘सब की काँग्रेस’ के लिए लडता रहूंगा । इस ‘सब की काँग्रेस’ का अर्थ केवल इकठ्ठा आना यह नहीं, तो जिन्हें देश में भाजपा नहीं चाहिए, ऐसे लोगों के इकठ्ठा आने जैसा है ।

अध्यक्ष पद पर न होते हुए भी राहुल गांधी निर्णय कैसे लेते हैं ?

सिब्बल ने राहुल गांधी के विषय में कहा कि, अब राहुल गांधी काँग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं । उस पद पर सोनिया गांधी हैं । चुनाव के पहले राहुल गांधी पंजाब में गए और उन्होंने ‘चन्नी मुख्यमंत्री होंगे’ ऐसी घोषणा की; लेकिन उन्होंने यह निर्णय किस अधिकार से लिया ? वे पार्टी के अध्यक्ष नहीं, तो भी वे सभी निर्णय लेते हैं । वे पहले से ही असफल अध्यक्ष हैं । ऐसा होते हुए भी काँग्रेस के लोग पुन: राहुल को नेतृत्व करने को कह रहे हैं ?