कर्नाटक में हिजाब के प्रकरण में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का प्रश्न
आरिफ मुहम्मद खान एक मुसलमान विचारक एवं अभ्यासक हैं । उनके विचार भारत के ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावादियों एवं आधुनिकतावादियों को पचना असंभव है, यह ध्यान में रखें ! – संपादक |
नई देहली – हिजाब के नाम पर बहस करनेवाले कुछ लोग निरंतर शरीयत का हवाला देते हैं । शरीयत कानून के अनुसार ‘जिस देश में शरीयत लागू नहीं, उस देश में मुसलमान नहीं रह सकते ।’ ऐसे इस्लाम में महिलाओं की आवाज पर भी बंधन है । शरीयत में कहा गया है कि ‘लडकियों को सार्वजनिक स्थान पर बोलने का भी अधिकार नहीं ।’ इस पृष्ठभूमि पर कर्नाटक के महाविद्यालय में ‘अल्लाह हू अकबर’ (अल्लाह महान है) ऐसा नारा लगाकर लडकी ने अत्यंत अयोग्य किया है । ‘यदि वास्तव में शरीयत को मानना है, तो संपूर्णरूप से मानें अथवा छोड दें’, ऐसा कहते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एक समाचार वाहिनी को दी मुलाकात में मुसलमानों को ही पाठ पढाया है । कर्नाटक के एक महाविद्यालय में बुरकाधारी लडकी का हिन्दू विद्यार्थियों द्वारा वैधानिक मार्ग से विरोध करने पर उसने ‘अल्लाह हू अकबर’ का नारा लगाया था । इस पृष्ठभूमि पर वे बोल रहे थे ।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा,
१. इस्लाम की पुस्तकों में लिखा है कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य नहीं । इसलिए हिजाब की तुलना सिखों के केश, कडा, कृपाण से नहीं हो सकती । देश में तीन तलाक कानून होने से कुछ लोग अप्रसन्न हैं और वे वादविवाद निर्माण करने का षड्यंत्र रच रहे हैं ।
२. देश की जनसंख्या १२५ करोड है । उनमें से कुछ मुट्ठीभर महिलाएं हिजाब का समर्थन कर रही हैं । ‘उनका मत सभी का मत है’, ऐसा नहीं हो सकता ।
३. एमआइएम के अध्यक्ष एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, ‘एक दिन हिजाब डालनेवाली महिला देश की प्रधानमंत्री होगी ।’ उस पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहो, ‘यह केवल बकबक है । देश जिसे चुनेगा, वही देश का प्रधानमंत्री बनेगा ।’ (१६.२.२०२२)