भारतमाता और भूमाता के विरोध में अपमानजनक विधान करने वाले पादरी पर लगा गुनाह रहित करने का मद्रास उच्च न्यायालय का नकार

इस प्रकार का निर्णय देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय का अभिनंदन ! ‘न्यायालय ने आगे ऐसे आरोपियों को दोषी ठहराकर कठोर से कठोर सजा देने से ही अन्य लोगों पर डर निर्माण होगा’, ऐसा ही राष्ट्र प्रेमियों को लगता है !  – संपादक

चेन्नई (तमिलनाडु) – ‘भारतमाता’ और ‘भूमाता’ के विरोध में अपमानजनक विधान करने वाले पादरी जॉर्ज पोन्नैया पर प्रविष्ट किया गया गुनाह रहित करने से मद्रास उच्च न्यायालय ने मना कर दिया । पोन्नैया पर धारा २९५ अ (धार्मिक भावना दुखाने) के अंतर्गत गुनाह प्रविष्ट किया गया है । १८ जुलाई, २०२१ के दिन उन्होंने कन्याकुमारी में एक कार्यक्रम के अपमानजनक विधान किए थे ।

न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन् ने सुनवाई के समय कहा, ‘भूमाता का सम्मान करने के लिए चप्पल न पहनते हुए चलने वालों का पोन्नैया ने मजाक किया है । पोन्नैया ने भूमाता और भारतमाता का ‘महामारी और अस्वच्छता का स्रोत’, कहकर उल्लेख किया है । हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं दुखाने के लिए इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो नहीं सकता । भारतमाता से हिन्दुओं की भावनाएं जुडी है । भारतमाता अनेक हिन्दुओं के लिए देवता हैं । किसी को भी किसी की धार्मिक भावनाएं दुखाने का अधिकार नहीं । पोन्नैया का लक्ष्य हिन्दू थे । वे हिन्दुओं को अलग, तो मुसलमान और ईसाइयों को अलग दृष्टि से देखते हैं ।

पोन्नैया ने क्या कहा था ?

पोन्नैया ने नागरकोली के भाजपा विधायक एम.आर.गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘भारतमाता को कष्ट देने की इच्छा न होने के कारण गांधी चप्पल नहीं पहनते है । ‘हमारे पैर अस्वच्छ न हों और भारतमाता के कारण हमें कोई भी बीमारी न हो, इसके लिए हम (ईसाई) चप्पल पहनते हैं ।