अधिवक्ता (पू.) रवीन्द्र घोष की दायर याचिका रद्द !
चटगांव (बांग्लादेश) – इस्कॉन सदस्य चिन्मय प्रभु के मामले में बांग्लादेश के चटगांव में मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायालय के न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने १२ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता (पु.) रवींद्र घोष को मामले में चटगांव में एक स्थानीय वकील ढूंढने के लिए कहा। इसके बाद अधिवक्ता (पु.) रवींद्र घोष ने स्थानीय अधिवक्ता सुमित आचार्य को नियुक्त किया । इससे पहले कोर्ट ने चैतन्य प्रभु की जमानत अर्जी यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि वकील (पू.) रवींद्र घोष के पास प्रभु का वकालतनामा नहीं था ।
Bangladesh Chinmoy Prabhu Bail Case: Legal Representation by Advocate (H.H.) Ravindra Ghosh Rejected!
Court Directs Appointment of Local Lawyers for Bail Plea!
This incident highlights that even the courts in Bangladesh are anti-Hindu and oppress Hindus. Take note that… https://t.co/VlfiIh7G48 pic.twitter.com/GIXYkUDwjj
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) December 14, 2024
अधिवक्ता (पु.) रवींद्र घोष ने कहा कि,
११ दिसंबर को कोर्ट ने मेरी बात नहीं सुनी ; क्योंकि मेरे पास चैतन्य प्रभु का वकालतनामा नही था । फिर मुझे यह मिल गया । चिन्मय प्रभु ने जेल से जमानत के लिए याचिका प्रविष्ट की । इसके बाद अदालत ने मुझसे स्थानीय वकील को साथ लाने के लिए कहा । तदनुसार, मैंने अधिवक्ता सुमित आचार्य को साथ लिया है।
संपादकीय भूमिकाबांग्लादेश की अदालतें भी हिन्दू विरोधी हैं और वे हिन्दुओं पर अत्याचार कर रही हैं, यह इस घटना से स्पष्ट है। ध्यान दें कि भारत में लोकतंत्र-प्रेमी राजनीतिक दल इसके विरोध में अपना मुंह नहीं खोलते ! |