इस्लामी आक्रमण से पूर्व, कश्मीर की भूमि, संसार की ‘सिलिकॉन वैली’ थी ! – चलचित्र निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री

(अमेरिका का ‘सिलिकॉन वैली’, यह स्थल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के वर्तमान वैश्विक केंद्र के रूप में जाना जाता है ।)

कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार पर प्रकाश डालने वाला आगामी चलचित्र ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए अमेरिका में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन !

चलचित्र निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री

नई देहली – “कश्मीर में देवी सरस्वती की उपासना की जाती थी । कश्मीर पर इस्लामी आक्रमण होने से पूर्व, यह भूमि संसार की ‘सिलिकॉन वैली’ थी । यहां ज्ञान गंगा बह रही थी । इसीलिए, भारत पर आक्रमण किया गया । धार्मिक कट्टरपंथियों ने सैकडों वर्षों से भारत को लूटा है । कश्मीर के रूप में, संसार के सर्वाधिक प्राचीन एवं महानतम विद्वानों की भूमि पूर्णतः नष्ट की गई”, ऐसा वक्तव्य प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ‘कश्मीर एवं वैचारिक आतंकवाद’ इस विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा । वे अपने आनेवाले चलचित्र ‘द कश्मीर फाइल्स’ के प्रचार के लिए, १६ दिसंबर को अमेरिका के डेनवर विश्वविद्यालय में बोल रहे थे ।

(सौजन्य: I Am Buddha)

कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अकथनीय अत्याचारों पर प्रकाश डालने वाला चलचित्र ‘द कश्मीर फाइल्स’, आगामी वर्ष २६ जनवरी २०२२ को वैश्विक स्तर पर प्रकाशित होगा । विवेक अग्निहोत्री उसका प्रचार करने के लिए विगत कुछ सप्ताहों से अमेरिका के दौरे पर हैं । उन्होंने ४ दिसंबर को कैपिटल हिल में भी बात की थी ।

अग्निहोत्री ने डेनवर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा,

१. अफगानिस्तान राष्ट्र कभी सांस्कृतिक भूमि हुआ करता था । हिन्दू धर्म की महानता के कारण, अफगानिस्तान को एक श्रेष्ठतम  इतिहास प्राप्त हुआ है । आज जिहादी आतंकवाद के कारण अफगानिस्तान की स्थिति क्या हुई है, यह हम देख रहे हैं ।

२. योग की उत्पत्ति कश्मीर की भूमि में हुई है । योग व्याधियों का प्रतिबंध करने का प्रयास करता है, जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान, व्याधि होने के पश्चात उसका उपचार करने के लिए कार्य करता है । उपनिषदों की उत्पत्ति कश्मीर में हुई है । जर्मन एवं अन्य पश्चिमी विचारकों ने मुख्य रूप से उपनिषदों का अध्ययन किया है ।

३. संपूर्ण संसार ‘वाम विरुद्ध दक्षिणपंथी’ विचारधारा, ‘पूर्व विरुद्ध पश्चिमी’ इस प्रकार विभाजित हुआ है । इसी वैचारिक अंतर का जिहादी आतंकवादी अनुचित लाभ उठाते रहे हैं । भगवान शिव ने सहस्रों वर्ष पूर्व कहा था कि, उनका तीसरा नेत्र सभी विचारधाराओं के एकीकरण का प्रतीक है । मैं संपूर्ण संसार को एक साथ लाने की सीख की भूमि से आया हूं । संसार को करुणा, व्यापकता आदि के दिव्य गुण भारत से प्राप्त हुए हैं । हिन्दू धर्म सभी का सम्मान करना सिखाता है । हमारा धर्म हमें अनेकता से एकता में आना सिखाता है ।

४. जीवन का रहस्य, पारिवारिक जीवन, श्रद्धा का महत्व, ‘मैं कहां से आया हूं ?’, ‘मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ?’ आदि के  उत्तर प्राप्त करने के लिए विदेशियों को मेरी भारत भूमि में आना होगा । यदि आपको पैसा अर्जित करना है तो आपको अमेरिका जाना होगा ।

५. भारत ने ही संसार को अज्ञान से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की सीख दी है । हम अत्यंत सहनशील रहे हैं । हमारी सहनशीलता के कारण ही, संसार की सबसे प्राचीन, हमारी संस्कृति  शेष रही है । हम आगामी ५ सहस्र वर्षों तक आतंकवाद से संघर्ष करते रहेंगे । ‘संपूर्ण संसार एक है’ ऐसी हमारी विचारधारा है । इससे ही हमें शक्ति मिलती है ।

६. फ्रांस में ‘शार्ली एब्दो’ पर हुआ आक्रमण तथा मुंबई का २६/११ का आक्रमण धार्मिक कट्टरवाद के फल हैं । कश्मीर, जो कभी शत-प्रतिशत हिन्दू हुआ करता था, आज हिन्दू-विहीन हो गया है । १९ जनवरी १९९० को जिहादी आतंकवादियों ने कश्मीर में हिन्दुओं पर आक्रमण किया था । उस समय, रूस से एवं कुछ मात्रा में अमेरिका से प्राप्त आर्थिक सहायता के कारण, आतंकवादियों ने शस्त्रास्त्रों का उपयोग करके हिन्दुओं पर आक्रमण किया । ५ लाख हिन्दुओं को शरणार्थी होना पडा । इतना सर्व होते हुए भी, कश्मीरी हिन्दुओं ने कभी भी उसका प्रतिशोध नहीं लिया है एवं न ही कभी ऐसा भाषण दिया है, जिससे ऐसी भावनाएं उत्तेजित हुई हो ।

जो मानवता ने नहीं देखा है, उस आतंकवाद पर प्रकाश डालने के लिए ही ‘द कश्मीर फाइल्स’ यह चलचित्र है !

कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार पर प्रकाश डालने वाला चलचित्र बनाने के कारण, मेरे विरुद्ध फतवे निकाले गए । आतंकवाद का सामना करने के लिए उसे समझने की आवश्यकता है । जो मानवता ने नहीं देखा है, उस आतंकवाद पर प्रकाश डालने के लिए ही ‘द कश्मीर फाइल्स’ यह चलचित्र है । आज लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को ३२ वर्षों तक शरणार्थी के रूप में रहना पड रहा है । जर्मनी में ‘होलोकॉस्ट’ (ज्यू लोगों का नरसंहार) हिटलर के साथ समाप्त हुआ, परंतु कश्मीर का आतंकवाद ओसामा बिन लादेन की हत्या के पश्चात भी शुरू ही है । इसलिए, यह चलचित्र न केवल दु:ख, अत्याचार आदि पर प्रकाश डालता है, अपितु जागरूकता उत्पन्न करने का भी कार्य  करता है ।