मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के विरुद्ध जबरन धर्म परिवर्तन का प्रकरण प्रविष्ट किया गया है !

बाल सुधार-गृह की युवतियों का धर्म परिवर्तन करने का प्रयत्न करने का आरोप !

संगठन ने किया आरोपों का खंडन !

पिछले कई दशकों से, ईसाई मिशनरियों और ईसाई संगठनों पर हिन्दुओं को धर्मांतरित करने का आरोप लगाया जाता रहा है, किन्तु, अब तक हिन्दुओं को इस संबंध में न्याय नहीं मिला है तथा मिशनरियों को दण्ड भी नहीं दिया गया है । चूंकि, गुजरात में बीजेपी की सरकार है, यहां हिन्दुओं को अपेक्षा है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए ! – संपादक

प्रतिकात्मक छायाचित्र

वडोदरा (गुजरात) – मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ईसाई संगठन, मिशनरीज ऑफ चैरिटी के विरुद्ध धर्म परिवर्तन का प्रकरण प्रविष्ट किया गया है । अभियोग के अनुसार, इस संस्था द्वारा चलाए जा रहे बाल सुधार-गृह (जुवेनाइल डिटेंशन सेंटर) में युवतियों को ईसाई बनाने का प्रयास किया जा रहा है । संगठन ने आरोपों का खंडन किया है । जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी मयंक त्रिवेदी की शिकायत पर मकरपुरा थाने में प्रकरण पंजीकृत किया गया है ।

१. मयंक त्रिवेदी ने हाल ही में मिशनरीज ऑफ चैरिटी का दौरा किया था, जो मकरपुरा परिसर में एक बाल सुधार-गृह चला रहा है । त्रिवेदी ने कहा कि, “भेंट के समय उन्होंने पाया, कि युवतियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के उद्देश्य से, ईसाई धर्म ग्रंथों को पढने और ईसाई प्रार्थनाओं में भाग लेने के लिए विवश किया जा रहा था । यह संस्था १० फरवरी २०२१ से ९ दिसंबर २०२१, तक जानबूझ कर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की मंशा से काम कर रही है । गले में ‘क्रॉस’ पहनकर युवतियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है । युवतियों को, उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले, पटल पर बाइबिल रख कर पढने के लिए विवश करने का भी प्रयास किया गया ।”

२. मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम किसी भी धर्म परिवर्तन में लिप्त नहीं हैं । हमारे बाल सुधार-गृह में २४ युवतियां हैं । ये युवतियां हमारे साथ रहती और पढती हैं । हमने किसी का धर्म परिवर्तन नहीं किया है या किसी को भी ईसाई से विवाह करने के लिए विवश नहीं किया है ।”