उत्तराखंड सरकार द्वारा अंतत: चारधाम सहित ५१ मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त !

मंदिरों के पुजारियों द्वारा किए गए आंदोलन की विजय !

अब पूरे देश में सरकारीकरण किए गए मंदिरों के विरोध में सभी पुजारी, धार्मिक संगठन और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एकत्रित होकर आंदोलन करना चाहिए तथा देश के प्रत्येक मंदिर को सरकारीकरण से मुक्त करना चाहिए ! – संपादक

     देहरादून (उत्तराखंड) – उत्तराखंड के भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चारधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) तथा ५१ मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त करने की घोषणा की । इसके साथ मुख्यमंत्री धामी ने घोषित किया कि सरकारीकरण द्वारा निर्माण किया गया ‘चारधाम देवस्थानम् बोर्ड’ भी विसर्जित किया गया है ।

१. राज्य के भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष २०१९ में ‘श्राइन बोर्ड’ की पृष्ठभूमि पर ‘चारधाम देवस्थानम् बोर्ड’ बनाया था । विधानसभा में इस संदर्भ में विधेयक पारित कर अधिनियम बनाया गया था ।

     तब से इसे चारधाम और ५१ मंदिरों के पुजारी निरंतर विरोध कर रहे थे; परंतु सरकार बोर्ड निरस्त करने से मना कर रही थी । राज्य सरकार का कथन था कि देवस्थानम् बोर्ड बनाने के कारण यहां आनेवाले श्रद्धालुओं को सुविधा देना और स्थानीय विकास करना सुलभ होगा ।

२. त्रिवेंद्र सिंह रावत को पद से हटाने के उपरांत भाजपा के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस बोर्ड को निरस्त करने का आश्वासन दिया था; परंतु इस आश्वासन को पूर्ण करने के पूर्व ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पडा ।

३. तदुपरांत मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय समिति स्थापित करने की घोषणा की । तदनुसार उन्होंने पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में यह समिति स्थापित की । इसमें चारधाम के पुजारियों को भी सहभागी किया गया था । इस समिति ने अध्ययन कर सरकार को इस विषय में अंतिम ब्योरा प्रस्तुत किया । इस ब्योरे के आधार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह बोर्ड निरस्त करने का निर्णय लिया । (१.१२.२०२१)

पुरोहितों की प्रतिक्रियाएं

१. सत्य, सनातन और परंपरा का विजय हुआ है । इस हेतु मैं सरकार के प्रति आभार प्रकट करता हूं । – श्री. रावल हरीश सेमवाल, अध्यक्ष, श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति

२. धर्म पर कानून का पहरा न हो । जब ऐसा होता है, तब धर्म को ग्लानि आती है । जो धर्म की रक्षा करता है, वही विश्व में टिकता है । – श्री. सुरेश सेमवाल, सचिव, श्री गंगोत्री मंदिर समिति

३. अंतत: सरकार ने स्वीकार किया कि पुरोहितों की लडाई सत्य के लिए थी । सत्य की विजय हुई । सरकार सत्य के पक्ष में आई । – श्री. कृष्णकांत कोठियाल, अध्यक्ष, चारधाम तीर्थपुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत.

४. यह निर्णय इससे पहले ही होना चाहिए था; परंतु सत्ता में बैठे कुछ लोगों के हठ के कारण इसके लिए २ वर्ष लगे । – श्री. अशोक टोडरिया, कोषाध्यक्ष, बद्रीश पंडा पंचायत.

ऐतिहासिक निर्णय ! – महंत रवींद्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाडा परिषद

‘राज्य सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड विसर्जित कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है । इसलिए साधु-संत, साथ ही तीर्थ पुरोहितों में आनंद का वातावरण है’, ऐसी प्रतिक्रिया अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने व्यक्त की ।