सीमा पर वर्ष १९६२ समान युद्ध स्थिति नहीं होने देंगे ! – उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार का प्रतिपादन

नई दिल्ली – भारतीय सेना को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना आवश्यक है । सीमा पर वर्ष १९६२ समान युद्ध स्थिति नहीं होने देंगे, ऐसा केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में बताया । चीन सीमा पर भारतीय सेना के लिए चालू मूलभूत सुविधाओं के निर्माण के विरोध में पर्यावरण के प्रश्न पर प्रविष्ट की गई याचिका पर सरकार ने न्यायालय में स्वयं की स्थिति को रखते हुए उपर्युक्त सूत्र रखे ।

सरकार ने न्यायालय में बताया कि, भारत-चीन सीमा पर हाल ही में हुई कालातीत घटनाओं के कारण भारतीय सेना को सीमा पर अच्छे रास्तों की आवश्यकता है । सीमा उस पार बडे पैमाने पर निर्माण कार्य हुए हैं । उन्होंने (चीन ने) आधारभूत सुविधाएं निर्माण करने के साथ हवाई जहाजों के लिए रनवे, हेलिपैड, रास्ते, रेलवे मार्गों का जाल आदि निर्माण किया है । इस पृष्ठभूमि पर भारतीय सेना को सीमा तक भारी वाहन ले जाने के लिए चौडे रास्तों की आवश्यकता है । सामरिक दृष्टि से महत्व के ९०० कि.मी. प्रकल्प का उद्देश्य उत्तराखंड के यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ इन ४ शहरों को जोडना आवश्यक है । सैनिक, टैंक, भारी तोप और यंत्र सामग्री एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जानी पडती है, यह सेना की समस्या है ।

वर्ष १९६२ में चीन सीमा तक पैदल ही रसद पहुंचाई जाती थी, अब ऐसा ना हो । सडकों का दोहरीकरण नहीं हुआ तो, सडक बनाने का उद्देश्य सिद्ध नहीं होगा । इस कारण ७ मीटर चौडे रास्तों की अनुमति दें, ऐसी मांग भी इस समय केंद्र सरकार ने न्यायालय में की ।