जयपुर (राजस्थान) – सेना के २ जनरलों ने बताया, कि किसान आंदोलन भारतीय सेना को भी प्रभावित कर रहा है । अतः कुछ भी हो सकता है । “आज आप सत्ता में बैठे हैं और सत्ता के अहंकार में कुछ भी करते जा रहे हैं ; परंतु, इसके क्या परिणाम होंगे, यह आप नहीं जानते ।” मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां आयोजित जाट सम्मेलन में यह वक्तव्य दिया ।
१. सत्यपाल मलिक ने आगे कहा कि, “कारगिल में सरकार द्वारा की गई चूक का मूल्य किसान के बच्चों को चुकाना पडा । जब कारगिल का युद्ध हुआ, तब किसानों के २० वर्षीय पुत्र पर्वत पर चढ गए । शत्रु कारगिल में घुस गया । यह सरकार की चूक थी, ऐसा मुझे लगता है । किसानों के पुत्र सैनिकों को युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान देकर इसका मूल्य चुकाना पडा । यह अन्याय केवल किसानों के साथ ही हो रहा है । लोग इस पर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं ; परंतु, किसी दिन किसान इसकी प्रतिक्रिया ना दें, ऐसा मुझे लगता है । अभीतक किसानों ने पत्थर नहीं उठाए हैं ।”
२. मलिन के कहा कि, “किसान आंदोलन के विषय पर मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट की है । मैं बहुत आहत था और क्रोध में भी था । मैं प्रधानमंत्री मोदी से मिला और उन्हें इससे अवगत कराया, कि वे इस स्थिति का अनुचित पद्धति से आंकलन कर रहे हैं । सिखों अथवा जाटों को हराया नहीं जा सकता । आपको यदि ऐसा लग रहा हो, कि ये किसान सहजता से यहां से हट जाएंगे ; तो वैसा नहीं होगा । आप उनकी मांगें मान लीजिए ।”
३. “एक-दो व्यक्तियों में सत्ता का इतना उन्माद चढ गया है कि उन्हें भूमि ही दिखाई नहीं दे रही है ; परंतु, गांवों में बताया जाता है कि रावण भी अहंकारी था । एक दिन इन्हें (सत्ताधारियों को) भी यह बात समझ में आएगी कि वे चूक कर रहे हैं । मुझे लगता है कि वह दिन बहुत शीघ्र आएगा ।”
४. मलिक ने उस समय सिक्खों द्वारा क्रोध में आकर किए गए कुछ कृत्यों के उदाहरण भी बताए । उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वर्णमंदिर में खलिस्तानवादियों के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही की और उससे सिख समुदाय आहत हुआ । इंदिरा गांधी को अपने प्राण देकर इसका मूल्य चुकाना पडा । पूर्व सेनादल प्रमुख जनरल अरुणकुमार वैद्य की भी सेवानिवृत्ति के उपरांत पुणे में हत्या की गई । जालियनवाला बाग हत्याकांड करानेवाले जनरल डायर की भी लंडन में हत्या की गई ।