चारधाम तीर्थक्षेत्रों का सरकारीकरण करने हेतु, कानून बनाने का मामला !
इससे यह स्पष्ट होता है, कि तीर्थ क्षेत्रों के सरकारीकरण के विरोध में हिन्दुओं की भावनाएं कितनी प्रखर हैं ! क्या केंद्र और सभी राज्य सरकारें अब मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपेगी ? – संपादक
केदारनाथ (उत्तराखंड) – उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत जब यहां पहुंचे, तब पुरोहित समुदाय ने उन्हें दर्शन करने से रोका । राज्य की भाजपा सरकार ने चारधाम मंदिरों के सरकारीकरण करने के लिए एक कानून बनाया है, जिसका पुरोहित समुदाय विरोध करता है । रावत को, संगम के समीप पुल से आगे जाने का पुजारियों ने विरोध किया । इस समय ऊंचे स्वर में नारेबाजी भी की गई । अंतत:, रावत मंदिर के दर्शन किए बिना शासकीय विश्राम गृह चले गए । पुजारी वृंद का कहना है कि, “रावत ने ही सरकारीकरण का कानून पारित किया है ।”
इस घटना के एक दिन पूर्व, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और राज्य मंत्री धनसिंह रावत का भी पुजारियों ने विरोध किया था । उत्तराखंड सरकार ने पहले पुजारियों से सरकारी कानून को निरस्त करने का संकल्प किया था ; किन्तु, अभी तक अपने संकल्प को पूर्ण न करने के कारण, पुजारियों में भाजपा सरकार के प्रति अत्यंत क्रोध है ।