वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान पिछडने का प्रकरण
भारत को यदि जानबूझकर इस प्रकार से सूचकांक के नाम पर विश्वस्तर पर बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा हो, तो भारत को उसका तीव्र विरोध कर इस सूचकांक को अस्वीकार ही करना चाहिए !– संपादक
नई देहली – वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान पिछड जाना आश्चर्यजनक है । इस सूचकांक को निर्धारित की जानेवाली पद्धति अशास्त्रीय है । इस ब्योरे का वास्तविकता के साथ कोई संबंध नहीं है । सूचकांक निर्धारित करने की पद्धति में गंभीर चूकें हैं, यह स्पष्ट करते हुए भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस ब्योरे के विषय में तीव्र शब्दों में अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की । वर्ष २०२१ के वैश्विक भूख सूचकांक में (ग्लोबर हंगर इंडेक्स में) ११६ देशों की सूची में भारत १०१वें स्थान पर खिसक गया है । वर्ष २०२० में भारत ९४वें स्थान पर था; परंतु अब वह इस सूची में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं नेपाल इन पडोसी देशों से भी पिछड गया है ।
सरकार ने कहा कि यह हैरान कर देने वाला है कि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंक और घटी है। #GlobalHungerIndex2021 #GlobalHungerIndex @NavbharatTimeshttps://t.co/k4i0Y8NjYG
— ET Hindi (@ETHindi) October 15, 2021
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आगे कहा कि दूरभाष के माध्यम से किए गए ४ प्रश्नों के जनमत परीक्षण के आधार पर यह मूल्यांकन किया गया है । प्रति व्यक्ति अन्न की उपलब्धता पर आधारित होनेवाले कुपोषण की गणना करने के लिए कोई भी शास्त्रीय पद्धति उपलब्ध नहीं है । कुपोषण की शास्त्रीय गणना करने हेतु वजन एवं ऊंचाई की गणना की आवश्यकता होती है ।