कर्नाटक विधानसभा के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता के आर. रमेश कुमार का दावा !
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बेंगलुरू (कर्नाटक) – ‘यदि भारत में इस्लाम तलवार के बल पर फैल गया होता, तो आज देश में एक भी हिन्दू शेष नहीं होता ; क्योंकि, मुसलमानों ने ८०० वर्षों तक भारत पर शासन किया’, ऐसा दावा कर्नाटक विधानसभा के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक के आर. रमेश कुमार ने किया । वे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ एस वाई कुरैशी की पुस्तक ‘द पॉपुलेशन मिथ’ (जनसंख्या के संदर्भ में मिथक) के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे । उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि, ‘धार्मिक शक्तियां देश के संविधान को दुर्बल कर रही हैं ।’
१. रमेश कुमार ने आगे कहा कि, ‘तलवार के बल पर इस्लाम फैलाया जाने का असत्य प्रचार किया जा रहा है । इसका कोई भी ऐतिहासिक आधार नहीं है । (इसका कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है, यह बात रमेश कुमार किस आधार पर कह रहे हैं, पहले उन्हें स्पष्ट करना चाहिए ! उस समय भारत के किसी भी हिन्दू का स्वयं स्वेच्छा से इस्लाम स्वीकार करने का कोई इतिहास नहीं है ; यह रमेश कुमार क्यों नहीं स्वीकार करते अथवा कांग्रेस वाले मुसलमानों के मतों के लिए इतिहास असत्य सिद्ध करना चाहते हैं ? – संपादक) इन मुसलमान शासकों का इतिहास एवं देश के विकास में उनका योगदान विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है । (रमेश कुमार प्रमाणों के साथ दिखाएं, कि मुसलमान शासकों ने देश में क्या विकास किया है ! – संपादक) मुसलमानों ने इस देश के लिए जो भी योगदान दिया है, उसे लोगों के मस्तिष्क से निकालने का प्रयास किया जा रहा है । (भारत के लिए योगदान देने वाले देशभक्त मुसलमानों को कोई नहीं भूलेगा, जैसे एपीजे अब्दुल कलाम ; परंतु, जिन्होंने कुछ नहीं किया तथा उसका महिमामंडन किया जा रहा है, इसकी वास्तविकता देश के सामने उजागर होनी ही चाहिए ! – संपादक) । ऐतिहासिक बातों को अनुचित पद्धति से प्रस्तुत किया जा रहा है । इसी से ऐसा कहा जाता है कि, मुसलमानों ने बलपूर्वक इस्लाम प्रसारित किया ।’ (ध्यान दें, कि जहां यह उजागर हो रहा है कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी सहस्रों हिन्दुओं का धर्मांधों ने बलपूर्वक धर्मांतरण कराया है, इस पर मात्र रमेश कुमार चुप हैं ! – संपादक)
२. इस समय कर्नाटक के भूतपूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता डॉ एच सी महादेवप्पा ने भी रमेश कुमार की हां में हां मिलाते हुए दावा किया कि, ‘मुसलमान शासकों ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करने का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है ।’ उन्होंने कहा, कि मुसलमानों ने देश पर ८०० वर्षों तक शासन किया, तथा अंग्रेजों ने २०० वर्षों तक शासन किया ; परंतु, इस अवधि में, उन्होंने भारत को ‘इस्लामी’ या ‘ईसाई’ देश घोषित करने का प्रयास नहीं किया । (हिन्दुओं की शक्ति के कारण ही उन्हें ऐसा करने का साहस नहीं हुआ, अन्यथा वो कर ही देते ! कांग्रेस के शासनकाल में, मात्र पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्य आज ईसाई-बहुसंख्यक हो गए हैं एवं वे एक स्वतंत्र ईसाई देश की मांग कर रहे हैं ; इसके संबंध में महादेवप्पा बात क्यों नहीं करते हैं ? – संपादक) देश में धर्मांध शक्तियां सत्ता में आने के पश्चात, भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना चाहिए, ऐसा कहा जा रहा है । ऐसी शक्तियों का प्रभावी पद्धति से उत्तर दिया जाना चाहिए तथा उनका उद्देश्य विफल किया जाना चाहिए ।