केरल में निपाह विषाणु से १२ वर्षीय लडके की मृत्यु !

केंद्र सरकार का दल केरल जा रहा है !

(प्रातिनिधिक छायाचित्र)

कोलिकोड (केरल) – केरल में देश के सर्वाधिक कोरोना के रोगी होने की स्थिति में अब निपाह विषाणु के संक्रमण से एक १२ वर्ष के बच्चे की मृत्यु हो गई है । केरल स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, निपाह विषाणु का एक संदिग्ध रोगी मिलने की सूचना मिलते ही, राज्य सरकार ने ४ सितंबर की देर रात्रि स्वास्थ्य अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी । इस बात की पुष्टि केंद्र सरकार ने भी की है तथा यह बताया गया है, कि केंद्र का भी एक स्वास्थ्य दल केरल भेज दिया गया है । केंद्र सरकार ने घोषणा की है, कि निपाह विषाणु की पृष्ठभूमि पर राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी ।

निपाह विषाणु का प्रथम रोगी १९ मई २०१८ को कोलिकोड में ही पाया गया था । उसके पश्चात, १ जून २०१८ तक राज्य में निपाह संक्रमण से १७ लोगों की मृत्यु हो चुकी थी एवं १८ लोगों के संक्रमित होने का समाचार आया था ।

निपाह विषाणु की उत्पत्ति एवं संक्रमण !

निपाह विषाणु, जिसे ‘बार्किंग पिग सिंड्रोम’ के रूप में भी जाना जाता है, प्रथमतः १९९९ में मलेशिया एवं सिंगापुर में सूअर तथा उनसे मनुष्यों में संक्रमित हुआ था । वहां से यह अनेक देशों में फैल गया । उस समय, इस विषाणु का प्रसार नियंत्रित करने के लिए १० लाख सूअर मारे गए थे । वर्तमान में इसका संसर्ग एशिया महाद्वीप के कुछ क्षेत्रों में होता है । सूअर अथवा चमगादड के द्वारा यह विषाणु मनुष्य में संक्रमित हो सकता है । इसलिए, यदि किसी स्थान पर विषाणु के संक्रमण में वृद्धि हुई हो, तो वहां के रोगी सूअरों से स्वयं की रक्षा करना आवश्यक होता है । साथ ही, यदि किसी रोगी चमगादड का खजूर के पेड के रस के साथ संपर्क आया हो, तो मनुष्यों द्वारा वह रस पीने से बचना चाहिए ।