काम पर रहते समय दाढी बढा़ने की मांग करने वाले मुसलमान पुलिस की याचिका उच्च न्यायालय ने नकार दी।

  • आमतौर पर भारत को धर्मनिरपेक्ष देश कहने वाले, हिन्दुओं का विरोध करने वाले निधर्मी और आधुनिकतावादी ऐसे पुलिस के विरोध में क्यों नहीं बोलते ? – संपादक

  • पुलिस बल का नियम होते हुए भी उसका पालन करने के स्थान पर धर्म के आधार पर ऐसी मांग करने वालों को पुलिस बल में ना लें ! – संपादक


लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – पुलिस बल ने दाढी रखने पर लगाए प्रतिबंध के विरोध में मोहम्मद फरमान इस पुलिस सिपाही द्वारा प्रविष्ट की गई याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायाल य की लखनऊ खंडपीठ ने नकार दी है । न्यायालय ने कहा, ‘पुलिस की छवि धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए । ऐसी छवि राष्ट्रीय एकता को अधिक मजबूत करती है ।’ पुलिस बल ने वर्ष २०२० में ‘पुलिस कर्मी दाढी न रखें’, इस आशय का कार्यालयीन आदेश जारी किया था; लेकिन फरमान द्वारा उसका पालन न करने के कारण उसे निलंबित कर उसके विरोध में आरोपपत्र प्रविष्ट किया था । फरमान ने उसके निलंबन और प्रविष्ट किए गए आरोपपत्र के विरोध में एक और याचिका प्रविष्ट की थी । न्यायालय ने यह याचिका भी निरस्त कर दी ।

फरमान ने याचिका में कहा था, कि संविधान ने दिए मूलभूत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अनुसार उसने दाढी रखी थी । इसके लिए अनुमति मिले; इसके लिए पुलिस विभाग को अर्जी भी दी थी ,जो निरस्त की  गयी थी । इस कारण फरमान ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की ।