परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘अध्यात्म मन एवं बुद्धि के परे है । मनोलय एवं बुद्धिलय होने पर वास्तविक अर्थों में अध्यात्म में प्रवेश होता है । इसलिए मन एवं बुद्धि के स्तर पर रहनेवाले शोधकर्ताओं को अध्यात्म समझ में नहीं आता ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले