चारधाम का प्रस्तावित सरकारीकरण रद्द करने की मांग

उत्तराखंड के चारधाम तीर्थक्षेत्रों के पुजारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रक्त से लिखा पत्र भेजा !

  • हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करने वाले चर्च और मस्जिद का सरकारीकरण करने का साहस क्यों नही दिखाते ? – संपादक
  • देश में हिन्दुओं के धार्मिक संघठनों और संस्थाओं ने इस सरकारीकरण का प्रखरता और वैध मार्ग से विरोध करना आवश्यक है ! – संपादक
  • हिन्दुओं के मंदिर भक्तों के नियंत्रण में होनी चाहिए, यह हिन्दुओं को कडक भाषा में बताना चाहिए ! – संपादक
  • वास्तविक रुप से ऐसी मांग ना करनी पडे । भाजपा सरकार से स्वयं होकर मंदिरों का सरकारीकरण रद्द करना आवश्यक है ! – संपादक

देहरादून (उत्तराखंड) – उत्तराखंड सरकार का ‘देवस्थानम् बोर्ड एक्ट’ रद्द करने के लिए राज्य के चार धाम तीर्थक्षेत्रों के पुजारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसमें हस्तक्षेप करने के लिए रक्त से पत्र लिखे हैं । इस कानून के द्वारा चार धाम और अन्य मंदिरों का सरकारीकरण किया जाने वाला है । इसके विरोध में पूर्व में ही भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद सुब्रहम्ण्यम् स्वामी ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है ।

१. ‘अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित युवा महासभा’ और ‘श्री केदारनाथ धाम’ के पुजारी संतोष त्रिवेदी के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में लिखा है कि, राज्य सरकार की ओर से देवस्थानम् बोर्ड बनाने का प्रयास यह सनातन धर्म की पौराणिक परंपरा से छेड़छाड़ है । पुजारियों के अधिकारों से खेला जा रहा है । यह न्यायोचित नहीं है । इस कारण यह बोर्ड रद्द करना चाहिए ।

२. चार धाम से संबंधित पुजारियों और समिति के साथ ४७ मंदिरों ने बोर्ड का विरोध करने के लिए १७ अगस्त को राज्य स्तरीय प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है । पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के बाद अभी के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हमें बोर्ड रद्द करने के विषय में निराश ही किया है, ऐसा पुजारियों ने कहा है ।