‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने वाली विवाहित महिला को सुरक्षा देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नकारा

सुरक्षा दी गई, तो एक प्रकार से अवैध संबंधों को स्वीकृति देने के समान होगा ! – न्यायालय का स्पष्टीकरण

प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) – पति को छोड़कर दूसरे व्यक्ति के साथ ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने वाली विवाहित महिला को सुरक्षा देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मना कर दिया । इस महिला ने और उसके ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के साथीदार ने (साथ में रहने वाले प्रेमी ने) सुरक्षा देने के लिए प्रविष्ट की याचिका न्यायालय ने रद्द कर दी । साथ ही उनकों ५ सहस्र रुपए का दंड भी लगा दिया । ‘अन्य समुदाय, जाति के व्यक्ति के साथ रहने की इच्छा होने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा देने के विरोध में हम नहीं है, ’ ऐसा भी न्यायालय ने इस समय स्पष्ट किया ।

१.न्यायालय ने कहा कि, हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत पहले से विवाहित और कानून का पालन करने वाला कोई भी व्यक्ति अवैध संबंधों के लिए न्यायालय में सुरक्षा की मांग नहीं कर सकता; कारण अवैध संबंध इस देश की सामाजिक मर्यादा में नहीं आता है । न्यायालय की ओर से सुरक्षा दिए जाने पर यह एक प्रकार से अवैध संबंधों को स्वीकृति देने समान होगा ।

२. महिला याचिकाकर्ता के अनुसार, उसका पति उसको मारता पीटता था । इस कारण उसे छोड़ कर उसने उसके प्रेमी के साथ रहना शुरू किया; परंतु उसका पति प्रेमी के घर में घुसा और उसने उनके शांतिपूर्ण जीवन में बाधा निर्माण की ।

३. न्यायालय ने कहा कि, महिला का पति यदि उसके साथीदार के घर में घुसा, तो यह गुनाह का मामला होगा । इसलिए महिला निश्चित ही पुलिस में शिकायत प्रविष्ट कर सकती है, ऐसा भी न्यायालय ने इस समय स्पष्ट किया । साथ ही न्यायालय ने उस महिला को तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की भी सलाह दी ।