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वास्तव में देशभक्तों को ऐसी मांग करने की आवश्यकता ही नहीं हाेनी चाहिए। देशभक्तों को लगता है कि केंद्र सरकार द्वारा स्वयं ही इन बातों को ध्यान में लेते हुए राष्ट्रहित में कानून बनाने चाहिए !
देेहली – भारत पर राज करने के लिए एवं राष्ट्रप्रेमियाें काे कुचलने के लिए अंग्रेजाेंने २०० वर्ष पूर्व लादे गए कानून निरस्त किए जाए और इस देश में समान नागरी कानून, जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्मांतरण विराधी कानून, घुसपैठ के विरुद्ध कानून, गाेहत्या बंदी कानून जैसे देशहितार्थ कानून लागू हाे, इस हेतु दिल्ली के जंतर मंतर पर ८ अगस्त काे धर्मप्रेमी और देशभक्तों का एक भव्य आंदोलन आयोजित किया गया है। आयोजकों ने लाखों लोगों से आंदोलन में सम्मिलित होने का आवाहन किया है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय के देशभक्त और धर्मनिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और देशभक्त वक्ता श्री. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने पहल की है।
१. अंग्रेजों ने भारत पर शासन करने के लिए एवं राष्ट्रप्रेमियों को कुचलने के लिए २०० वर्ष पूर्व अनेक कानून बनाए। अभी भी इन कानूनों के अंतर्गत स्वतंत्र भारत में कार्रवाई की जा रही है। जिन कानूनों की सहायता से अंग्रेजों ने देश को लूटा, देश की सनातन संस्कृति, शिक्षा प्रणाली (गुरुकुल प्रणाली) को नष्ट किया एवं स्वतंत्र भारत में कांग्रेस, कम्युनिस्ट और अलगाववादी सरकारों ने देश को लूटा, देश का इतिहास बदल दिया और देश के विरुद्ध षडयंत्र रचे। इन कानूनों के कारण इस देश में हिन्दुओं को अपने ही राज्यों जैसे, केरल, कश्मीर और बंगाल से पलायन करना पडा । बडी संख्या में हिन्दूऒं का धर्मांतरण हो रहा है। ऐसे कानूनों को लागू रखना राष्ट्र और हिन्दू धर्म के लिए घातक है। अत: इस आंदोलन में इस तरह के अयोग्य कानूनों से छुटकारा दिलाने की मांग की जाएगी।
२. यह आंदोलन राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के हित के लिए है। सेना के पूर्व जनरल जी.डी. बख्शी, पूर्व रॉ अधिकारी कर्नल आर.एस.एन. सिंह, कश्मीरी हिन्दू नेता सुशील पंडित, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, भाजपा नेता कपिल मिश्रा, बंगाल के हिन्दू समर्थक नेता श्री देवदत्त मांझी, जम्मू-कश्मीर के देशभक्त नेता श्री. अंकुर शर्मा, आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा, दिल्ली के सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय के संस्थापक प्रा. कपिल कुमार, पीडित कश्मीरी हिन्दू श्री. ललित अंबरदार, भारतीय इतिहास अनुसंधान और तुलनात्मक अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष नीरज अत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह, केंद्र सरकार के पूर्व अधिकारी आर.वी.एस. मणि, डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती, कालीचरण महाराज, गिलगित-बाल्टिस्तान के नेता कैप्टन रिजवी, पूर्व रॉ अधिकारी एन.के. सूद, सेवानिवृत्त सेना अधिकारी मेजर गौरव आर्य, फिल्म निर्माता निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एवं अन्य देशभक्तों के नेतृत्व में आंदोलन का आयोजन किया गया है।
स्मरण रहे !
१. भारत के ८ राज्यों में हिन्दुओं की जनसंख्या १० प्रतिशत से भी अल्प है।
२. कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए वर्ष २००६ में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया, जो देशद्रोहियों को कई सुविधाएं दे रहा है।
३. वक्फ बोर्ड भूमि अधिनियम, जिसके कारण मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
४. हिन्दुओं द्वारा भुगतान किए गए लगान के पैसों से मौलवी (इस्लाम के धार्मिक नेता), मौलाना (इस्लाम के आधिकारिक शिक्षा लेनेवाले ) आदि को वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
५. हिन्दू मंदिरों की दान पेटियों पर सरकार का अधिकार है। यह पैसा हिन्दुओं के लिए नहीं, अपितु मुसलमानों और उनके धार्मिक समारोहों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
६. देश के ८ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं, तो उन्हें अल्पसंख्यकों की श्रेणी एवं उन्हें मिलने वाली सुविधाएं क्यों नहीं मिलती?
७. मुसलमानों को देश में अपने धर्म की शिक्षा देने की अनुमति है, तो हिन्दुऒं को क्यों नहीं है?
८. देश में मिलावट करने वालों को ७ वर्ष, बलात्कारियों को भी ७ वर्ष, धर्मान्तरित करने वालों को ७ वर्ष, देशद्रोहियों को ७ वर्ष , करोड़ों रुपयाें का घोटाला करने वालों को ७ वर्ष , देश पर आक्रमण करने और देश के विरुद्ध षडयंत्र करने वालों को भी ७ वर्ष का ही दंड मिलता है । इन अलग-अलग अपराधों में एक ही जैसे दंड का विधान क्यों है ?