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नई दिल्ली – चुनकर आए विधायक कानून से बडें नहीं हो सकते, इसलिए उन्हें अपराध करने की छूट नहीं, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार की खिंचाई की ।
केरल विधानसभा में वर्ष २०१५ में दंगा करने वाले विधायकों पर अनुशासन हीनता की कार्यवाही पीछे लेने की केरल सरकार की याचिका उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दी । (गुनाहों पर परदा डालने वाली केरल की कम्यूनिस्ट सरकार ! ऐसी सरकार जनता को कभी भी कानून का राज्य दे सकती है क्या ? – संपादक) उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद केरल के उपद्रवी विधायकों के विरोध में मुकदमा चलने का मार्ग खुल गया है ।
Justice Chandrachud: We have noted that as held by Shivnandan Paswan judgment this court is not required to look into the evidentiary aspects of a case. We have also noted how HC relied incorrectly on a minority judgment.#supremecourt @vijayanpinarayi
— Bar & Bench (@barandbench) July 28, 2021
इस याचिका पर २८ जुलाई के दिन हुई सुनवाई के समय न्यायालय ने केरल सरकार की अच्छी खिंचाई की,
१. विधायकों को जनता के काम करने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं, विधानसभा में तोड़फोड़ करने के लिए नहीं । विधायकों के विशेषाधिकार उन्हें आपराधिक कानून से नहीं बचाता है ।
२. उपद्रवी विधायकों के विरोध के अपराध, उनके ऊपर की कार्यवाही पीछे लेना, इसमें कहां का जनहित है ?
३. इस मामले पर न्यायालय का निर्णय यह ‘सभागृह में उपद्रव करने का परिणाम क्या होता है ? विधायकों के विशेषाधिकार की लक्ष्मण रेखा कहां तक होनी चाहिए ? राजनीतिक विरोध किस सीमा तक करना चाहिए ?’ यह एक उदाहरण होगा ।