लव जिहाद विरोधी कानून एवं हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति में नेतृत्व लेकर प्रयासरत भाजपा सासंद मेधा कुलकर्णी !

कोथरूड (पुणे) की प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी, भारतीय जनता दल की नेता हैं । वर्तमान में वे महाराष्ट्र से राज्यसभा के सांसद के रूप में कार्यरत हैं । उन्होंने वर्ष २०२४ में राज्यसभा के सदस्य के रूप में उन्होंने संस्कृत भाषा में शपथ ली । वर्ष २०१४ से २०१९ तक वे कोथरूड विधानसभा मतदाता संघ की विधायक रही हैं । वे पुणे शहर की राजनीति, साथ ही विविध सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होती हैं । राजनीति में आने से पूर्व प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी शिक्षाक्षेत्र में कार्यरत थीं । उन्होंने शिक्षिका के रूप में अपना कार्यकाल आरंभ किया था । वे महाराष्ट्र विधानसभा की महिला एवं बालकल्याण समिति की सदस्या थीं । शिक्षा एवं महिला सक्षमीकरण उनके विशेष विषय थे । वे उत्तम वक्तृत्व एवं विचारमंथन के लिए पहचानी जाती हैं ।

प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी

विशेष स्तंभ


छत्रपति शिवाजी महाराजजी के हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना में मावलों एवं धर्मयोद्धाओं का त्याग सर्वोच्च है । उसी प्रकार, आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ तथा राष्ट्रप्रेमी नागरिक धर्म एवं-राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘धर्मयोद्धा’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी तथा उनके द्वारा होनेवाले हिन्दू धर्मरक्षा के संघर्ष की जानकारी पर प्रकाश डालने के लिए ‘हिन्दुत्व के धर्मयोद्धा’ स्तंभ आरंभ किया है । इस स्तंभ से हम सभी को प्रेरणा मिलेगी । इन उदाहरणों से हमारे मन की चिंता दूर होकर उत्साह उत्पन्न होगा ! – संपादक

१. हिन्दुत्व के कार्य की प्रेरणा

अपनी सनातन प्राचीन सिंधु संस्कृति महान है । इस जीवन पद्धति को अपनाने से हमारे साथ-साथ समाज तथा देश के विषय में भी व्यापक संकल्पना स्पष्ट होती है । अपना जीवन किसलिए है ? इसका भान होता है । सर्वत्र यही भान निर्माण होना चाहिए । भारत में तथा भारत के बाहर भी यह होना चाहिए, इस सनातन भारतीय संस्कृति में इतनी प्रखर शक्ति है, कि इसका प्रचार-प्रसार जितना होगा, विश्व का उतना ही कल्याण होगा । अत: इस व्यापक उद्देश्य से संघ विचारों की प्रेरणा, भारतीय जनता दल के माध्यम से राजनीतिक परंपरा, उससे मिली प्रेरणा इन सभी के माध्यम से काम करते-करते यह भी एक स्थायी स्वरूप का दूरगामी परिणाम लानेवाला है । मूलगामी कार्य के रूप में ये हिन्दुत्व का कार्य करना है । राजनीतिक दायित्व संभालते हुए यह कार्य करना है जिसका उपयोग अपने देश में सभी को होना चाहिए । सभी जातिभेद नष्ट होकर ‘हिन्दू को एक होना चाहिए’ अथवा ‘हिन्दुत्व के विचारों का जिन पर प्रभाव है, ऐसे सभी लोगों को एक होना चाहिए’, इस विचार से कार्य होता है ।

२. हिन्दुत्व का कार्य करते समय आनेवाली अडचनें हिन्दुत्व का कार्य करते समय २ प्रकार की अडचनें आती हैं ।

अ. हम हिन्दुओं में धर्म के प्रति अनेक गलत धारणाएं हैं । जैसे कि इनमें बहुत ही जातिभेद है अथवा महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था । ब्रिटिश काल में जानबूझकर इस प्रकार की गलत धारणाएं फैलाई गई थीं । इसलिए हिन्दू धर्मियों में ये गलत धारणाएं दूर करना एवं उनसे संबंधित समस्याओं का सामना करना होगा ।

आ. परधर्मियों द्वारा वक्फ कानून का विरोध – वक्फ कानून सर्वसमावेशक कानून है । मुसलमानों में अनेक जातियां हैं, जिन्हें किनारे कर दिया गया है । इसलिए उन्हें भी समाहित करने तथा उनके उत्कर्ष के लिए वक्फ द्वारा हथियाई हुई भूमि का उपयोग होगा क्या ? अथवा अनेक लोगों द्वारा अधिकृत किए गए स्थानों पर किसी भी प्रकार के प्रमाण नहीं हैं, ऐसे लागों का आक्रोश रोकने के लिए कुछ नियमबद्धता लाई जा सकती है क्या ? इसके लिए ये कानून हैं । इसमें परिवादकर्ताओं में अनेक मुस्लिम बंधु भी हैं । इन सभी को न्याय दिलाने के लिए यह वक्फ कानून है; परंतु अनुचित धारणाओं के कारण अथवा एक अलग ही उद्देश्य आंखों के सामने रखकर जानबूझकर विरोध किया जा रहा है, ऐसी मनोवृत्ति का सामना करने में अडचन आती है ।

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♦ राजनीतिक स्वार्थ के लिए ब्राह्मणों पर अकारण टीका-टिप्पणी करना रोकें !

♦ ब्राह्मण समाज से चूक हुई उसे सुन लेना है; परंतु अकारण ही यदि कोई पूंछ पर पैर रखे, तो उसे छोडना भी नहीं है !

३. वक्फ कानून के संदर्भ में कार्य करते समय आए विशेष अनुभव

संयुक्त संसदीय समिति की स्थापना हुई थी । यह समिति विविध साक्षियों (गवाहों) का कहना सुन रही थी । ‘स्टेक होल्डर’ कौन ? इसलिए आरंभ में वाद-विवाद हुआ । जो हिन्दू संगठन ‘स्टेक होल्डर’ के रूप में साक्ष्य बनकर आने के इच्छुक थे, कर्नाटक तथा तमिलनाडु से आए लोगों के संदर्भ में उन्हें खदेडने का काम किया गया । कुछ किसान आए थे वे ‘स्टेक होल्डर’ कैसे ? केवल मुसलमान लोग ही ‘स्टेक होल्डर’ हो सकते हैं; इसलिए बहुत बडा दंगा किया गया । जिन हिन्दुओं की भूमि चली गई है वे आएं नहीं, हिन्दू अधिवक्ता आएं नहीं, इसलिए दंगे किए गए; जबकि भारत में रहनेवाला प्रत्येक नागरिक जो-जो इस कानून से बाधित हो सकता है, ऐसा प्रत्येक व्यक्ति ‘स्टेक होल्डर’ है । कर्नाटक के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मणिपड्डी ने २ लाख ३२ सहस्र करोड रुपए का घोटाला उजागर किया । उसमें कांग्रेस के बडे-बडे नेताओं के नाम सामने न आएं इसलिए वे भाग हटा दिए गए थे । विरोधी पक्ष तथा ‘इंडी’ आघाडी के नेताओं तथा हिन्दू सांसदों ने वहां अत्यंत तर्कहीन प्रतिवाद किया । सांसद हिंसक विरोध भी कर सकता है, उनकी उद्दंडता इस सीमा तक पहुंच गई । तात्त्विक विरोध भी तर्कशुद्ध होना चाहिए । मुस्लिम समाज के कुछ चुनिंदा लोगों ने ही मेवा खाया है । इसलिए यह देश ‘हदीस’ एवं ‘कुरान’ के आधार पर नहीं; अपितु संविधान के अनुसार चलता है; कारण हडपी गई भूमि कुछ लोगों के हाथों में ही गई है । इसका मूल्य बहुत होते हुए भी निर्धन मुसलमानों को निर्धन ही रखा गया है ।

हिन्दू मंदिरों की चर्चा होती है कि हिन्दू मंदिरों में मुस्लिम न्यासी कहां हैं ? ऐसा है, तो वक्फ बोर्ड पर मुसलमान एवं गैरमुसलमान क्यों ?; यदि एक मंदिर के बोर्ड की तुलना करते हैं तो एक मंदिर के न्यास (ट्रस्ट) की तुलना एक मस्जिद के न्यास (ट्रस्ट) से हो सकती है । राज्य की अनेक मस्जिदें, मदरसे, दरगाह, कब्रिस्तान तथा अन्य जो संपत्ति है, उसकी देखरेख के लिए एक नियामक मंडल है, जो सर्वसमावेशक होना चाहिए; इसलिए वहां दो गैरमुसलमान लिए गए । इसलिए गलत तुलना कर भ्रमित किया जा रहा है । ‘वक्फ बाय यूजर’ में भी किसी स्थान की भूमि का उपयोग आरंभ करते ही वह भूमि मुसलमानों की हो जाती है । इसलिए जहां कागदपत्रों के आधार पर विरोध होता है, वहां तो ऐसे प्रकरण नहीं होने चाहिए । इसलिए सरकार के पास चर्चा तथा अध्ययन के लिए ऐसे विषय आएंगे, तदुपरांत लिया जानेवाला निर्णय दोनों पक्षों पर लागू होंगे ।

पुणे में एक स्थान पर भीत (दीवार) पर हरा रंग ध्यान में आने पर उस भीत को भगवा (केसरिया) रंग देकर वहां भगवान की प्रतिमा रखी गई

४. हिन्दुत्व पर हुए आघातों का सामना करते हुए मन में आनेवाली विचार-प्रक्रिया

हिन्दुत्व पर होनेवालो आघातों की समस्याएं सुलझाते समय विचार होते हैं परंतु भय नहीं होता । किसी भी व्यक्ति तथा किसी भी समाज की निश्चिति नहीं दे सकते । जहां योग्य-अयोग्य का निर्णय होता है, तब वह बात करने के लिए मन तैयार होता है तथा मन तैयार होने पर, शरीर तैयार होता है । इसलिए सभी को साहस करना चाहिए । हम सामान्य लोगों के आधार होते हैं और यदि हम ही घबरा गए, तो इसका कोई अर्थ नहीं । उन्हें पद भी नहीं स्वीकारना चाहिए ।


हनुमान जयंती के दिन पुणे में पुण्येश्वर मारुति मंदिर में गदापूजन


भाजप की सांसद प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य में नियमित सहभागी होती हैं । वे पुणे में महाशिवरात्रि एवं नवरात्रि के उपलक्ष्य में सनातन संस्था द्वारा लगाई गई ग्रंथ प्रदर्शनी का अवलोकन करती हैं । हनुमान जयंती के दिन शौर्यजागृति के लिए पुणे जिले में किए गए गदापूजन के समय उन्होंने पुण्येश्वर मारुति मंदिर में गदापूजन किया । इस प्रकार राष्ट्र-धर्म के कार्य करनेवाले संगठनों के कार्यक्रम में उनका सदैव सहभाग होता है । इसके लिए सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति सदैव उनकी ऋणी रहेगी !

५. राजनीति तथा हिन्दुत्व का मेल

जिस विचारधारा पर मैं काम करती हूं वहां ऐसी अडचन नहीं आती; कारण जिस पक्ष तथा संगठन ने व्यापक हिन्दुत्व का ही विचार किया हो, उन्हीं विचारों की परंपरा लेकर राजनीति में आई हूं । इसलिए यहां यह अडचन नहीं आती । जो मन में होता है, वही होठों पर होता है ।

६. महाराष्ट्र में लव जिहाद के विरुद्ध कानून होना तथा हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिलना आवश्यक !

महाराष्ट्र में लव जिहाद के विरुद्ध कानून होना आवश्यक है । यदि जनमानस परिवर्तित नहीं हो, तो ऐसे कानून बनाने का भी कोई उपयोग नहीं होगा । कानून अवश्य होना चाहिए; कारण कानून का संरक्षण होगा, तो घटना होते समय दिखाई देने पर दंड दे सकते हैं; परंतु स्वेच्छा से कोई मुस्लिम धर्म में जाता है तो उसके लिए जनजागृति आवश्यक है । इसलिए लडकियों में आत्मविश्वास एवं हिन्दू धर्म का भान होगा, तो उन्हें कोई भी बलपूर्वक नहीं ले जा सकता । लडकियों में हिन्दू धर्म के प्रति अज्ञानता एवं अन्य धर्म की महानता बताए जाने से, वे उसकी बलि चढ जाती हैं । अपने धर्म के प्रति अज्ञानता के लिए हम अभिभावक के रूप में कहां कम पडते हैं ? इस पर प्रत्येक माता-पिता को विचार करना चाहिए; कारण हमारे त्योहार, अर्थात दिवाली मिठाईयां खाना, अच्छे कपडे पहनना, अथवा गुढीपाडवा पर बांस को सजाकर खडा करना, केवल यहीं तक मर्यादित नहीं हैं अपितु इसके पीछे क्या शास्त्र है ? यह बताना चाहिए । केवल कर्मकांड धर्म नहीं है, अपितु उसके पीछे का विचार हिन्दू धर्म है; जब तक वह विचार बताया नहीं जाता कि हिन्दू धर्म कितना महान है, तब तक बुद्धिप्रिय व्यक्ति को वे कर्मकांड निरर्थक लग सकते हैं । इसलिए सरकार का उत्तरदायित्व है कि वह कानून बनाए तथा अभिभावक अपना दायित्व समझकर धर्म का महत्त्व बताएं; क्योंकि हमारा भविष्य उस पर निर्भर है ।

हिन्दू राष्ट्र निर्माण हो, यही अपेक्षा !


भारत के संविधान की निर्मिति हुई, तब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने उसमें ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्द नहीं डाला था । वह कुछ काल पश्चात डाला गया तथा संविधान को तोड-मरोड दिया गया । इससे पहले कहीं भी ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं था । ‘धृ धारयति इति धर्मः ।’, अर्थात ‘जिन नीतियों से अच्छे संस्कार निर्माण होते हैं, उसे धर्म कहते हैं’, यही हमारी जीवनशैली होनी चाहिए । इसलिए कोई भी व्यक्ति िनधर्मी कैसे हो सकता है ? देश का विभाजन ही मूलत: धर्म के आधार पर हुआ । विभाजन होने के पश्चात एक देश इस्लामी राष्ट्र तथा हमारा देश ‘धर्मनिरपेक्ष’ हो गया । आज हम उसके परिणाम देख रहे हैं । इसलिए एक हिन्दू धर्मी व्यक्ति के रूप में हमारे राष्ट्र को, ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित हो अथवा ऐसा राष्ट्र निर्माण हो, ऐसी अपेक्षा है । हिन्दू सदैव सहिष्णु रहे हैं । हम सर्वसमावेशक हैं । भिन्न प्रार्थनाशैली का उपयोग करते हुए भी उन्हें हमने आत्मसात किया । जो भगवान को नहीं मानते, ऐसे चार्वाक भी हमारे ही हैं । इसलिए हिन्दू संस्कृति चिरंतन, अति प्राचीन, तब भी नित्य नूतन है । इसलिए ‘इसी विशिष्ट संस्कृति की नींव पर ऐसा राष्ट्र निर्माण हो’, ऐसी मेरी हार्दिक अभिलाषा है ।
– प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी

७. ब्राह्मण तथा उस पर होनेवाली टीका-टिप्पणी का प्रत्युत्तर देने के लिए सनातन धर्म की समझ होना आवश्यक !

सर्व हिन्दुओं को वेद, उपनिषद एवं स्मृति का अध्ययन करना चाहिए, तभी हम हिन्दू धर्म के प्रति गलत धारणाओं को दूर कर सकते हैं । स्मृति ग्रंथों में लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति जन्म से ही शूद्र होता है तथा संस्कारों से ही वह एक-एक सीढी चढकर ऊपर आता है । राजनीति में अथवा सेना में जो व्यक्ति है, वह क्षत्रिय है । उस समय वह जन्म से क्या है ? यह महत्त्वपूर्ण नहीं, अपितु मुझ में वह गुणधर्म है क्या ? यह अधिक योग्य है । पूर्व में हमारे पास ‘कास्ट’ (जाति) शब्द ही नहीं था, वह तो अंग्रेजों के काल से आया है । हमारे यहां वर्णव्यवस्था थी । मूलत: लोगों को समझाकर बताना चाहिए कि हमारे सनातन धर्म में सभी को अधिकार दिए हैं । सत्यकाम जाबाल (महर्षि गौतम के शिष्य) एक गणिका के (सेविका के) पुत्र थे, उन्हें अपने ही पिता का नाम पता नहीं था । उन्होंने अपनी माता का नाम लगाया एवं उपनिषदों की निर्मिति की । पूर्व के काल में महिलाएं भी शिक्षा लेती थीं । अपने यहां गार्गी, मैत्रेयी जैसे अनेक उदाहरण हैं । पहले बिना किसी भेद-भाव के लोग पढते थे, जब तक लोगों को हम उदाहरणों सहित यह नहीं बताएंगे, तब तक उनकी गलत धारणाएं दूर नहीं होंगी तथा वे टीका-टिप्पणी करते ही रहेंगे एवं हमें तानाशाही का सामना करना ही पडेगा ।

८. हिन्दुओं के हित के लिए सदैव सक्रिय रहेंगे !

जो भी बात अनधिकृत है उसे रोकना ही चाहिए । अब आगे किसी भी हिन्दू मंदिर पर अतिक्रमण नहीं होगा, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए । हिन्दू मंदिर सुरक्षित रहने चाहिए । अपने लोगों की संपत्ति सुरक्षित रहनी चाहिए । अन्य धर्मीय अपने अधिकार क्षेत्र में जो चाहें सो करें, उसका विरोध नहीं; परंतु अन्यों की संपत्ति जप्त कर कुछ हो रहा हो, तो निश्चितरूप से सक्रिय होंगे । भोंगों पर मुंबई उच्च न्यायालय ने भी प्रतिबंध लगाया है । इसलिए मुस्लिम समुदाय कानून के बंधनों में रहकर ही उनकी प्रार्थना करें ।
– सांसद प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी

 


हिन्दुओं को आवाहन !


‘एक है तो सेफ है ।’, अर्थात यदि हम एकत्र रहे, तो सुरक्षित रहेंगे । जातिभेद, वर्णभेद भूल जाओ । सभी को शिक्षा का अधिकार है । जातिभेद, लिंगभेद भूल जाओ तथा एक हो ! राष्ट्र के लिए जो-जो हितकारक हैं, उसमें सक्रिय हों ! केवल एक होकर अपने-अपने घरों में नहीं, अपितु जहां हमारा राष्ट्र हमें आवाज देगा, हमें पुकारेगा, वहां हमें आना चाहिए; सक्रिय होना चाहिए ।
– प्रा. डॉ. (श्रीमती) मेधा कुलकर्णी