भारत के विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर का लंदन में बयान

लंदन (ब्रिटेन) – हम इस बात कर प्रतिक्षा कर रहे हैं कि पाकिस्तान द्वारा कब्जा किया गया कश्मीर का भाग कब भारत को वापस मिलेगा । मैं आपको आश्वासन देता हूं कि पाकिस्तान के नियंत्रण में कश्मीर के भाग को भारत में वापस मिल जाने के उपरांत कश्मीर के सभी मुद्दे हल हो जाएंगे, ऐसा भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने यहां चैथम हाउस में ‘भारत का उदय और वैश्विक भूमिका’ विषय पर हुए एक साक्षात्कार के समय यह टिप्पणी की ।
डॉ. एस. जयशंकर से एक व्यक्ति ने पूछा, ‘भारत कश्मीर मुद्दे को कैसे सुलझाएगा?’ वहां शांति कैसे स्थापित होगी ?’ इस पर डा. जयशंकर ने कहा कि कश्मीर में शांति स्थापना की प्रक्रिया तीन चरणों में हो रही है । पहले चरण में हमें अनुच्छेद ३७० हटाना था । हमने पहला चरण पूरा कर लिया है । हमने यह कश्मीर में शांति लाने के लिए किया । दूसरे चरण में कश्मीर में विकास और आर्थिक कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक न्याय बहाल करने की प्रक्रिया चल रही है । तीसरे चरण में मतदान दर बढ़ाकर कश्मीर में लोकतंत्र को और मजबूत करने का कार्य किया जा रहा है । हाल ही में जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए ।
Appreciated the conversation with @bronwenmaddox at @ChathamHouse this evening.
Spoke about changing geopolitics, geoeconomics, India-UK ties, neighbourhood and the Indian view of the world.
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— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 5, 2025
अमेरिकी नीतियों से भारत को लाभ होगा !
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के बारे में पूछे जाने पर डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी सरकार एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ रही है । यह अमेरिकी नीति भारत के हित में है । दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हैं ।
चीन के साथ सीमा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है !
इस प्रश्न पर कि, ‘भारत चीन के साथ किस प्रकार का संबंध चाहता है ?’ डॉ. जयशंकर ने कहा कि हमारे बीच बहुत ही विचित्र रिश्ता है । हम विश्व में केवल दो देश हैं जिनकी जनसंख्या एक अरब से अधिक है । हम दोनों का इतिहास बहुत लम्बा है, जिसमें समय के साथ उतार-चढ़ाव आते रहे हैं । आज दोनों देश आगे बढ़ रहे हैं और हम पड़ोसी भी हैं । जैसे-जैसे कोई देश विकसित होता है, विश्व और उसके पड़ोसियों के साथ उसका संतुलन बदलता है । मुख्य विचार यह है कि संतुलन कैसे बनाया जाए । हम स्थिर संबंध चाहते हैं जहां हमारे हितों का सम्मान किया जाए । वास्तव में यह हमारे संबंधों की मुख्य चुनौती है । भारत के लिए सीमाएं एक महत्वपूर्ण पहलू हैं । पिछले ४० वर्षों से यह माना जाता रहा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता संबंधों को बढ़ाने के लिए आवश्यक है । यदि सीमा अस्थिर है अथवा शांति का अभाव है तो इसका निश्चित रूप से हमारे संबंधों पर परिणाम होगा ।