
रायपुर – छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य के नाम पर ईसाई पंथ का प्रसार करनेवाली तथा धर्मपरिवर्तन की घटनाओं में सम्मिलित स्वयंसेवी संस्थाओं की जांच करने का आदेश दिया है । छत्तीसगढ में कुल मिला कर १५३ स्वयंसेवी संस्थाएं हैं, जो विदेश से निधि प्राप्त करने हेतु ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम’ के (‘फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एॅक्ट’ अर्थात् ‘फेरा’ के) अंतर्गत पंजीकृत हैं । स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अन्य सामाजिक कार्य करने के नाम पर निर्माण हुई इन स्वयंसेवी संस्थाओं की गतिविधियां संदेहजनक पाई गई हैं । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी इस विषय में चेतावनी दी थी एवं उन्होंने कहा था कि स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ईसाई धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहित करने की गतिविधियां केवल अनैतिक ही नहीं, अपितु संविधान की मूल भावना के विरुद्ध भी हैं ।
१. ये स्वयंसेवी संस्थाएं शिक्षा एवं स्वास्थ्य के नाम पर विदेश से निधि लेतेी हैं तथा उसका उपयोग धर्मपरिवर्तन के लिए करती हैं । निरक्षरता, निर्धनता तथा उपचार का अपलाभ उठा कर ये संस्थाएं लोगों को ईसाई में धर्मपरिवर्तन करने पर विवश करती हैं ।
२. इनमें अधिकांश स्वयंसेवी संस्थाओं ने उनके कार्यस्थल के रूप में आदिवासी क्षेत्रों का चयन किया है ।
३. बस्तर में १९ में ९ पंजीकृत संस्थाएं तथा जशपुर में १८ में १५ संस्थाएं ईसाई मिशनरियों की ओर से चलाई जा रही हैं । यहां धर्मपरिवर्तन का प्रमाण भी सब से अधिक है । जशपुर के कुल आदिवासी जनसंख्या में ३५ प्रतिशत से अधिक लोग ईसाई हो गए हैं ।
४. राज्य में ११ महीनो में धर्मपरिवर्तन के विषय में १३ अपराध पंजीकृत किए गए हैं । राज्य की भाजपा सरकार ने धर्मपरिवर्तन के विरोध में नए एवं कठोर कानून लानेे की दृष्टि से सिद्धता आरंभ की है ।
संपादकीय भूमिकासामाजिक कार्य के नाम पर निधि प्राप्त कर उसका उपयोग ईसाई पंथ का प्रचार तथा प्रसार करने हेतु करनेवाली तथा उसके द्वारा समाज में धार्मिक टेढ उत्पन्न करनेवाली स्वयंसेवी संस्थाओं की अनुज्ञप्ति (अनुमति) निरस्त कर संबंधित लोगों को कारागृह में डालना ही उचित होगा ! |