श्री काशी सुमेरपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीजी ने महाकुंभ मेले में लिया निर्णय

प्रयागराज – महाकुंभ में साधु-संतों ने भारत को सनातन राष्ट्र बनाने की दिशा में पहला कदम बढाया है । उन्होंने ‘ऋषि संविधान’ की रचना की है । इसके अंतर्गत ‘ऋषि संविधान’ को आधार के रूप में देश के साढे पांच लाख गांवों को सनातन धर्म से जोडने हेतु विशेष अभियान कार्यान्वित किया है । श्री काशी सुमेरपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीजी ने कहा ‘मैं वर्ष २००१ से ‘ऋषि संविधान’ हेतु कार्य कर रहा था । प्रयागराज में महाकुंभ मेले में हुई ४ बैठकों के उपरांत वह तैयार कर सर्वसामान्य जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया है ।
१. पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण के १५ संतों के दल ने वैदिक सनातन शास्त्र एवं पुराणों पर आधारित इस संविधान का निर्माण किया है । इसके अंतर्गत प्रत्येक सनातनी व्यक्ति को एक गांव का ‘सनातन गांव’ में रूपांतर करने का दायित्व दिया जाएगा । इस हेतु ३०० संतों का एक गुट तैयार किया गया है । इस अभियान का आरंभ ओडिशा, पंजाब एवं बंगाल राज्यों के गांवों से होगा ।
२. ‘ऋषि संविधान’ के अंतर्गत १७ अभियान चलाए जाएंगे । इसमें विचार क्रांति, आध्यात्मिक क्रांति, संपर्क क्रांति, सेवा क्रांति, धार्मिक जागरण, संस्कृति क्रांती, गौ क्रांति, युवा क्रांति, प्रबंध क्रांति, महिला जागरण, समानता क्रांति, शिक्षा क्रांति, स्वास्थ्य क्रांति, व्यसनमुक्ति, स्वावलंबन, हरित क्रांति एवं सामाजिक सुसंवाद समाहित हैं ।
३. ‘ऋषि संविधान’ का उद्देश्य वैश्विक शांति प्रस्थापित करना है तथा गौओं को केंद्रस्थान में रखकर वैश्विक शांति योजना तैयार की गई है । जनजागृति के माध्यम से समाज में एक बडी क्रांति को व्यवस्थित करना, इसका उद्देश्य है । सुदर्शन चक्र को केंद्रस्थान में रखकर महाक्रांति अभियान तैयार किया गया है ।