कानिफनाथ महाराज देवस्थान प्रकरण में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा वक्फ बोर्ड तथा मुसलमान गुट को ‘कारण बताओ‘ सूचना (नोटिस) !

हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक कदम ! – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ

मुंबई – कानिफनाथ महाराज देवस्थान (गुहा, ता. राहुरी, जि. अहिल्यानगर) प्रकरण में हिन्दू भक्ताें को बडा दिलासा मिला है । मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ ने देवस्थान प्रकरण में मुसलमान गुट तथा महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को ‘कारण बताओ’ सूचना (नोटिस) देने का आदेश दिया है । इस प्रकरण में गुहा ग्रामपंचायत तथा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के स्थानीय पदाधिकारी एवं श्रद्धालुओं की ओर से हिन्दू जनजागृति समिति के अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी ने प्रभावी युक्तिवाद किया । न्यायालय का यह आदेश हिन्दू धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक कदम है, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से जारी किए प्रसिद्धिपत्रक में मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा कहा ।

प्रकरण का इतिहास

संत कानिफनाथ महाराज नाथ संप्रदाय के एक महान संत थे । उन्होंने राहुरी तहसील के गुहा में कडी तपश्चर्या तथा ध्यानसाधना की थी । इसलिए यह ध्यानस्थल हिन्दू भक्ताें के लिए श्रद्धास्थान है तथा यहां पूजा-अर्चना, आरती तथा धार्मिक विधियां संपन्न होती हैं; परंतु कुछ मुसलमान गुट तथा महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने मिल कर ऐसा दावा किया कि यह स्थल ‘हजरत बाबा रमजान शहा दरगाह’ है । लगान के अभिलेखों में परिवर्तन कर इस स्थल पर मुसलमानों का स्वामित्व दिखाने का प्रयास किया गया ।

हिन्दू भक्ताें पर अन्याय !

हिन्दू भक्ताें की पूजा तथा गुरुवार को होनेवाली धार्मिक विधियों में अडचनें उत्पन्न की गईं । पूर्णिमा के उत्सवों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया । पुजारियों को धमकाया गया तथा उन पर आक्रमण भी हुआ । हिन्दू भक्तों को उनके धार्मिक स्थल से हठपूर्वक भगाने का प्रयास किया गया । इस अन्याय के विरोध में गुहा ग्रामपंचायत तथा हिन्दू भक्ताें ने एकत्रित आकर मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ में याचिका प्रविष्ट (नागरी पुनरावलोकन अर्ज क्र. ४७/२०२५) की । याचिका में मांग की गई कि कानिफनाथ महाराज देवस्थान की पूजा-अर्चना पर लगाया प्रतिबंध हटाया जाए । मुसलमान गुटों द्वारा लगान के अभिलेखों में किया अवैध पंजीकरण निरस्त किया जाए तथा मंदिर पर लगाया कोई भी प्रतिबंध हटाया जाए । न्यायमूर्ति एस्.जी. चपलगांवकर ने इस प्रकरण पर ध्यान केंद्रित कर महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड तथा मुसलमान गुटों को ‘कारण बताओं’ सूचना (नोटिस) जारी करने का आदेश दिया ।

न्यायालय के आदेश का महत्त्व !

न्यायालय का आदेश हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों की रक्षा करने की पृष्ठभूमि पर बडी सफलता के रूपमें देखा जा रहा है । यदि अवैध लगान तथा कानिफनाथ महाराज देवस्थान पर लगाए गए अन्यायकारी निर्बंध हटाने हेतु अगला कदम उठाया गया, ताे हिन्दू भक्ताें के लिए उनके श्रद्धास्थान पर पुन: निर्भय रूप से पूजा-अर्चना करने का मार्ग खुलने की संभावना है । कानिफनाथ महाराज देवस्थान बचाने हेतु धर्माभिमानी नागरिकों को सावधान रह कर स्वयं की भूमिका निश्चित रूप से प्रस्तुत करनी चाहिए, ऐसा महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने प्रसिद्धिपत्रक के अंत में कहा है ।