वर्तमान में वॉट्स एप पर ‘एच.एम.पी.वी.’ (‘ह्युमन मेटापन्यूमो वाइरस’) इस बीमारी के विषय में एक विज्ञप्ति घूम रही है । भले ही यह बीमारी अभी हम तक नहीं पहुंची हो, तब भी पिछले एक महिने से कष्टकारी तथा शीघ्र स्वस्थ न होनेवाले खांसी-सर्दी के रोगी दिखाई दिए हैं । अभी प्रत्येक रोगी का ‘स्क्रिनिंग’ (पडताल) न हो रही हो तथा ‘वाइरस स्ट्रेन’ (विषाणु का प्रकार) ध्यान में न आता हो, तब भी हमें अपने स्तर पर इस पर ध्यान देना आवश्यक है । ‘प्राणघातक’ शब्द यहां वर्तमान में लागू न होता हो, तब भी उसकी अनदेखी कर स्थायी रूप से रचनात्मक / क्रियात्मक / प्राणघातक परिवर्तन न आए, इस दृष्टि से इस ‘कष्टकारी’ सूत्र की ओर भी स्वास्थ्य की दृष्टि से ध्यान देना आवश्यक है । यहां दिए गए निर्देश सामान्यरूप से सर्दी, खांसी एवं ‘कोविड’ महामारी जैसे ही हैं । इस उपलक्ष्य में कुछ रोगियों द्वारा पूछे जाने से पुनः वही निर्देश दे रही हूं ।

१. लक्षण दिखाई देते ही स्वयं को घर के अन्य सदस्यों से अलग करें ।
२. खांसते समय तथा छींकते समय मुंह पर हाथ रखें । एकत्र मिलनेवाले हों तथा स्वयं में ऐसे लक्षण दिखाई देते हों, तो लोगों में जाना टालें । यदि जाना ही हो, तो थोडी दूरी बनाकर बातें करना, मुखपट्टिका का (मास्क का) उपयोग करना, स्वयं के द्वारा उपयोग किया रुमाल अन्यत्र न रखना; इसे गंभीरता से करें ।
३. गुनगुने पानी में हल्दी डालकर कुल्ला करें । गले में दर्द हो, तो कफ गले में संग्रहित न हो; इसके लिए गुनगुना पानी पीएं ।
४. गला तथा मुंह को आया सूखापन दूर करने हेतु किशमिश
चबाएं । गले में आग तथा खिचखिच अधिक हो, तो निरंतर गरम पानी पीने की आवश्यकता नहीं है ।
५. चुटकीभर सूंठ तथ हल्दी को गुनगुने पानी में डालकर सवेरे-सायंकाल पीएं ।
६. रात के समय हल्दी-दूध न पीएं । सामान्यतः कफ बढानेवाले पदार्थ जैसे कि दूध, फल, दही, नारियल पानी आदि सायंकाल के उपरांत न पीएं । बीमार हों, तो बिल्कुल भी न पीएं । चिकनापन, साथ ही दाह बढानेवाला चीज, मेयो, अचार, खमीर चढे हुए तथा मैदा, इन पदार्थाें को बिल्कुल भी न खाएं ।
७. पानी की निरंतर भांप लेते समय वह पानी गले में पहुंचा, तो उससे कष्ट होता है । नाक बंद होना, सिरदर्द के लिए लेपन एवं सूखा शेक, इन पद्धतियों का उपयोग अधिक उपयोगी सिद्ध होता है ।
८. ऐसे समय में बच्चों को फल देना टालें । कफ न्यून करनेवाली एकतरफा ‘म्युकोलाइट कफ सिरप’ (एक प्रकार की औषधि) अथवा बिना किसी जांच से अथवा बिना पूछे न दें । उससे एकतरफा सूखापन बढकर कष्ट बनने की संभावना होती है । चाटने की पद्धति में दी गई औषधियों का तथा चिकित्सकीय परामर्श से कुछ काढों का अच्छा उपयोग होता है ।
९. बुखार जाने पर आनेवाली थकान न्यून रहे, इसके लिए खली-पानी अथवा खजूर पानी पीएं । केवल बुखार आकर गया हो तथा सर्दी, खांसी न हो, तो शक्तिहीनता की भरपाई करने हेतु फलों के रस, अनार का रस एवं किशमिश पानी लेने में कोई आपत्ति नहीं है ।
१०. ठंड के दिनों में बच्चों को सवेरे की पाठशाला होने से सवेरे-सवेरे ही उन्हें स्नान कराने का आग्रह न करें ।
११. बीमारी के लक्षण दिखते ही अपने वैद्य के परामर्श से तुरंत औषधियां लेना आरंभ करें । वर्तमान में बुखार के तुरंत उपरांत कष्टदायक सूखी खांसी आने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं । बुखार के जाते ही तत्काल औषधियां बंद न कर संपूर्ण लक्षणों के नियंत्रण में आने तक ध्यान दें ।
– वैद्या (श्रीमती) स्वराली शेंड्ये, यशप्रभा आयुर्वेद, पुणे. (७.१.२०२५)