विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर का लोकसभा में वक्तव्य
नई दिल्ली – भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने लोकसभा में सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा की अनेक घटनाएं हुई हैं । इन घटनाओं की ओर भी हमने ध्यान दिया है । कुछ दिन पूर्व ही हमारे विदेश सचिव ढाका गए थे । वहां की बैठक में भी इस विषय पर चर्चा हुई है । हमें आशा है कि बांग्लादेश अल्पसंख्यकों की रक्षा हेतु पर्याप्त कदम उठाएगा ।’ (एक भी हिन्दू सांसद नहीं, अपितु असदुद्दीन ओवैसी जैसे सांसद ऐसा प्रश्न पूछ रहे है, यह लज्जाजनक ! – संपादक)
साथ ही म्यानमार के सूत्र पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेशमंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा ‘‘भारत सरकार म्यानमार से किए गए समझौते का ब्योरा ले रहा है । इस समझौते के अंतर्गत लोगों को एकदूसरे की सीमा लांघने की अनुमति है; परंतु भारत ने हाल में उसपर प्रतिबंध लगाया है ।’’
हसीना के वक्तव्य से भारत ने स्वयं को दूर हटाया
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश की यात्रा के पश्चात संसदीय स्थायी समिति से कहा ‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आलोचना करनेवाली शेख हसीना के वक्तव्यों को भारत का समर्थन नहीं है । हसीना के वक्तव्यों के कारण दोनों देशों के मध्य संबंध बिगड रहे हैं । भारत के बांग्लादेश से संबंध कोई भी एक दल तक सीमित नहीं है । यह दोनों देशों के नागरिकों पर आधारित हैं । शेख हसीना अपना मत प्रस्तुत करने हेतु व्यक्तिगतरूप से उपकरण का प्रयोग करती थीं । भारत ने उन्हें कोई भी उपकरण नहीं दिया है । भारत सरकार हसीना को ऐसी कोई भी सुविधा नहीं देती की जिसके द्वारा वे राजनैतिक गतिविधियां कर सकें ।
अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष बाइडेन बांग्लादेश की परिस्थिति पर ध्यान दे रहे हैं ! – अमेरिका
अमेरिका सरकार के परामर्शदाता जान किर्बी ने पत्रकार परिषद में कहा ‘राष्ट्राध्यक्ष बाइडेन बांग्लादेश की परिस्थिति पर ध्यान रखे हुए हैं । साथ ही अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की निश्चिति करने को कहा गया है । शेख हसीना ने देश छोडने के उपरांत बांग्लादेश की सुरक्षा परिस्थिति बिगड गई । इस परिस्थिति का सामना करने हेतु हम बांग्लादेश का सुरक्षा तंत्र बलशाली बनाने हेतु सहायता कर रहे हैं ।’
संपादकीय भूमिकापिछले अगस्त से अबतक बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए अभी भी हिन्दुओं की रक्षा की जा रही है, ऐसा कोई चित्र स्पष्ट नहीं है । इसलिए ऐसी आशा रखना हास्यास्पद है, यदि हिन्दुओं को ऐसा लगे, तो इसमें आश्चर्य कैसा ! भारत को हिन्दुओं की रक्षा हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ऐसा ही विश्वभर के हिन्दुओं को लगता है ! |