रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने के सन्दर्भ में जनहित याचिका देहली उच्च न्यायालय ने खारिज की

देहली सरकार से सम्पर्क करने की दी सलाह

नई देहली – रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को शालाओं में प्रवेश मिले, इस याचिका पर विचार करने के लिए देहली उच्च न्यायालय ने इन्कार किया है । इस याचिका में म्यानमार से भारत आए हुए रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों का पंजीकरण करने का आदेश देने की मांग की गई थी । उच्च न्यायालय ने कहा है कि वह इस याचिका पर केन्द्रीय गृह मन्त्रालय से सम्पर्क करेगा ।

 

देश की सुरक्षा का प्रश्न !

न्यायालय ने कहा कि,

१. हम इस मामले में नहीं फंसेंगे. उच्च न्यायालय में जाने से पूर्व आपको सरकार से सम्पर्क करना चाहिए । जो आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं कर सकते । इस मामले में न्यायालय को माध्यम नहीं बनना चाहिए । ये बच्चे भारतीय नहीं हैं । इस समस्या में अन्तर्राष्ट्रीय हित समाविष्ट है । इस विषय में रणनीतिक निर्णय लेने की आवश्यकता है । इसलिए भारत सरकार इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है । देश की सुरक्षा इससे जुडी है । इसलिए, बच्चे पैदा करने का अर्थ यह नहीं कि सारी दुनिया यहां आ जाएगी ।

२. उच्चतम न्यायालय के हालिया निर्णय को भी इस मामले में शामिल किया है, जिसमें नागरिकता अधिनियम १९५५ की धारा ‘६ अ’ की संवैधिनिकता को कायम रखा गया था । यह खंड असम समझौते के अन्तर्गत आने वाले अप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने के सन्दर्भ में है ।

संपादकीय भूमिका 

ऐसी याचिका करने वालों पर ही कार्यवाही करने की आवश्यकता है । घुसपैठियों को देश से निर्वासित करने की आवश्यकता होते हुए भी उन्हें सहायता करने के लिए न्यायालय तक जानेवाले लोगों को भी देश से निर्वासित करना चाहिए !