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नई देहली – कश्मिरी हिन्दू समुदाय स्पष्ट रिती से कहता है, ‘ओमर अब्दुल्ला अथवा उनका दल ‘नैशनल कांफेरन्स’ द्वारा हमें कोई अपेक्षा नहीं है । कश्मिरी हिन्दू मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला को कभी भी क्षमा नहीं करेंगे । जिस दल ने अनेक दशक व्यवस्थित रिती से हमारा नरसंहार होने दिया, वही पार्टी आज भी हमारी पीडाओं का साथ ही हमारे धरोहर का अपमान कर रही है ।
ओमर अब्दुल्ला ने अपने पिताजी फारुक अब्दुल्ला एवं दादा शेख अब्दुल्ला की भांति ही कश्मिरी हिन्दुओं की ओर अनदेखी की है । हम इससे आगे चुप नहीं रहेंगे ।’ ऐसी ठोस भूमिका ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ नामक कश्मिरी हिन्दुओं का कश्मीर घाटी में पुनर्वसन करने हेतु कार्यरत संगठन ने ली है । १६ अक्टूबर को ओमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है । इस पृष्ठभूमि पर संगठन द्वारा प्रसिद्धिपत्रक प्रसारित किया गया ।
प्रसिद्धिपत्रक के महत्त्वपूर्ण सूत्र –
१. ‘नैशनल कांफेरंस’ ने कश्मिरी हिन्दुओं का किया विश्वासघात ऐतिहासिक !
‘नैशनल कांफेरंस’ ने कश्मिरी हिन्दुओं का किया हुआ विश्वासघात ऐतिहासिक है । तथाकथित ‘कश्मीर का सिंह’ रहे शेख अब्दुल्ला ने अपनी अलगाववादी राजनीति से हिन्दू समाज को जानबूझकर उपेक्षित एवं वंचित रखा । उनके नेतृत्व में छल-कपट की नींव रखी गई । इन सभी की परिणती हमारे पलायन में हुईं ।
२. फारुख अब्दुल्ला की निगरानी में कश्मिरी हिन्दुओं को पलायन करना बाध्य किया गया !
वर्ष १९९० में जब घाटी में जिहादी आतंकवाद नंगा नाच कर रहा था तथा कश्मिरी हिन्दुओं को अकल्पनीय भीषणता का सामना करना पडा, तब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने हमारी अनदेखी की । उन्होंने हमारे नरसंहार की ओर मुंह फेर लिया । उनकी ही निगरानी में कश्मिरी हिन्दुओं को पलायन करना बाध्य किया गया तथा स्वयं के देश में शरणार्थी के रूप में रहने को बाध्य किया गया ।
३. अब्दुल्ला घराना के हाथ हमारे लहू से रक्तरंजित हैं !
अब ओमर अब्दुल्ला ने यह रक्तरंजित धरोहर आगे जारी रखी है । उन्होंने ऐतिहासिक चूकों का समाधान करने हेतु कुछ भी नहीं किया । साथ ही उनकी पार्टी द्वारा वर्तमान कृत्य हमारी संस्कृति एवं आध्यात्मिक धरोहर के विषय में पूर्णतः अनादर दिखाती है । हमारे दुःख का उपहास उडाया जाता है । हम पर हुए अन्याय के विषय में उनके परिजनों द्वारा उन्होंने हमारी कभी भी क्षमा-याचना नहीं की है । उन्होंने हमारा पुनर्वसन कश्मीर घाटी में करने हेतु अथवा उसके लिए प्रयासों का समर्थन करने हेतु भी कोई प्रयास नहीं किया है । हमारे नरसंहार के विषय में वे मौन रहे । यह केवल उनकी कायरता ही नहीं, अपितु वह नरसंहार के कृत्य का सहभाग ही है, हम ऐसा ही मानते हैं । अब्दुल्ला घराना के हाथ हमारे लहू से रक्तरंजित हैं तथा कोई भी राजनीतिक पवित्रता से वे धुल नहीं सकते ।
४. हमारे छल-कपट का ‘सत्य’ हम कभी भी नहीं भूलेंगे !
अब्दुल्ला परिवार तथा नैशनल कांफेरंस को हम कभी भी क्षमा नहीं करेंगे । उनके कारण हम पर हुए अत्याचार हम कभी भी भूल नहीं सकते । हम चुप नहीं बैठेंगे । हमारा अस्तित्व नष्ट नहीं होने देंगे । तथा न्याय के लिए हम निरंतर लडते रहेंगे । नैशनल कांफेरंस इतिहास का पुनर्लेखन करने का चाहे कितना भी प्रयास क्यूं न कर लें, तब भी उनके द्वारा हमें पीडित करने का ‘सत्य’ हम कभी भी नहीं भूलेंगे ।